42 लाख के इनामी दो कुख्यात नक्सलियों का समर्पण; CRPF शिविर में डाले हथियार

बालाघाट जिले में दो कुख्यात नक्सलियों के Naxalite surrender से सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है. 42 लाख रुपये के इनामी दीपक और रोहित ने कोरका बोन्दरी CRPF camp में हथियार डाल दिए. लंबे समय से चल रहे anti-naxal operations का यह बड़ा नतीजा माना जा रहा है.

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Naxalite Surrender 2025: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है. 42 लाख रुपये के इनामी दो कुख्यात नक्सलियों दीपक और रोहित ने कोरका बोन्दरी स्थित CRPF कैंप में हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया. सुरक्षा एजेंसियों के लम्बे इंतजार के बाद हुए इस सरेंडर को नक्सल नेटवर्क के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

CRPF कैंप में हथियार डालकर किया समर्पण

बिरसा थाने की मझुरदा पुलिस चौकी क्षेत्र स्थित कोरका बोन्दरी CRPF की 07वीं बटालियन के कैंप में मंगलवार सुबह इनामी नक्सली दीपक और रोहित ने अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया. सूत्रों के मुताबिक दोनों को आगे जिला पुलिस मुख्यालय बालाघाट ले जाया जा सकता है.

दोनों पर 42 लाख रुपये का इनाम

समर्पण करने वाले नक्सली दीपक पर 29 लाख रुपये और रोहित पर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था. दोनों लंबे समय से सुरक्षा बलों की रडार पर थे और जिलों में सक्रिय नक्सली गतिविधियों का अहम हिस्सा माने जाते थे. सरेंडर के समय दोनों ने मुख्यधारा में लौटने की इच्छा भी जताई.

गृह मंत्री की डेडलाइन से पहले बड़ी सफलता

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 31 मार्च 2026 की नक्सल मुक्त लक्ष्य-सीमा से पहले ही बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिले पूरी तरह नक्सलवाद मुक्त होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. दीपक जैसे कुख्यात नक्सली का समर्पण इस दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है.

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लंबे समय से चल रही थी तलाश

पिछले कई महीनों से सुरक्षा बल दीपक और रोहित की लगातार तलाश कर रहे थे. लगातार दबाव, संयुक्त अभियान और क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा मौजूदगी के कारण दोनों के लिए सक्रिय रहना मुश्किल हो गया था. अधिकारियों के अनुसार सरेंडर से नक्सल संगठन को बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका लगा है.

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बालाघाट के पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने बताया कि दीपक और रोहित के आत्मसमर्पण के बाद जिले में अब कोई भी कुख्यात या बड़ा नक्सली सक्रिय नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा बलों की लगातार मेहनत और रणनीतिक कार्रवाई का नतीजा है.

सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति का असर

एसपी मिश्रा ने बताया कि CRPF और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई, निरंतर दबाव और सटीक रणनीति के चलते यह सरेंडर संभव हुआ. उनके अनुसार इससे इलाके में नक्सली नेटवर्क काफी कमजोर होगा और आगे भी अभियान जारी रहेंगे.

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