Navratri 2025: दुर्गा पूजा पर महंगाई की मार; दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार बदहाल, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

Navratri 2025: मूर्तिकार हरदास कहते हैं कि "महंगाई के कारण होने वाली परेशानियां से हम लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. इसके चलते कई परम्परागत मूर्तिकार तो मूर्ति बनाने का व्यवसाय भी छोड़ चुके हैं."

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Navratri 2025: दुर्गा पूजा पर महंगाई की मार; दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार बदहाल, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

Durga Puja 2025: दुर्गा महोत्सव शुरू होने जा रहा है. जल्द ही शहर-गांव में जगह-जगह गली-मोहल्ले और चौराहों में मां दुर्गा माता की प्रतिमाएं झांकी के रूप में स्थापित हुई नजर आएंगी. बड़े-बड़े पंडाल भी आपको नजर आने लगेंगे. हर बार की तरह इस बार भी मूर्तिकार कई महीनों से दुर्गा जी की प्रतिमा बनाने में लग हुए हैं, लेकिन इस बार महंगाई की मार से मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार परेशान हैं. ग्वालियर जिले के डबरा में बनी मूर्तियां आसपास के जिलों मे काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन इन्हे गढ़ने वाले कारीगर बताते है कि प्रतिमा में लगने वाली मिट्टी-रंग और सजावट का सजो-सामान के बढ़ते हुए दामों से वे बहुत परेशान हैं.

NDTV ग्राउंड रिपोर्ट में मूर्तिकारों ने बताया अपना दर्द

NDTV की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची और मूर्तिकारों से बात की. उन्होंने बताया कि "मूर्तियाें की लागत बढ़ने के बाद दुर्गा जी के श्रद्धालु उचित दाम नहीं दे पाते हैं और हमें कम कीमत में मूर्तिया देने को मजबूर होना पड़ता हैं. इस कारण से हम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और कई मूर्तिकार तो यह प्रत्येक व्यवसाय छोड़ने ने की कगार पर है."

मूर्तिकार हरदास कहते हैं कि "महंगाई के कारण होने वाली परेशानियां से हम लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. जिसके कारण हमें आर्थिक नुकसान तो होता ही है, वहीं मंहगाई से लागत बढ़ने पर जो श्रद्धालु दुर्गा प्रतिमा लेने आते हैं वह कम दामों में ही लेना पसंद करते है, जिससे हमें आर्थिक नुकसान होता है. इसके चलते कई परम्परागत मूर्तिकार तो मूर्ति बनाने का व्यवसाय भी छोड़ चुके हैं."

मूर्तिकार कहते हैं कि हमारी सरकार से मांग है कि हमारी मदद करे जिस से हमारे नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सकें. 

दुर्गा प्रतिमाओं को बनाने वाले मूर्तिकार हरदास कहते है कि वे अकेले नहीं हैं. उनके साथ परिजन भी दो महीने से 12-13 घंटे दुर्गा प्रतिमाओं को बनाने में लगा हुआ है.

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मूर्तिकार के बेटे अजय ने बताया कि "मैं पढ़ाई करता हूं और मूर्तियां भी बनाता हूं, लेकिन इस व्यवसाय को मैं छोड़ रहा हूं और मैं बैंक जॉब की तैयारी कर रहा हूं, क्योंकि महंगाई बहुत ज्यादा है. मेरी बहन भी शिक्षक बनने की तैयारी कर रही है. मेरे परिवार में सभी शिक्षित हैं, लेकिन महंगाई की मार के कारण हमारा भरण-पोषण ठीक से नहीं हो पा रहा है. हालत यह है कि हमें भी अपने पिता जी के व्यवसाय में हाथ बंटाना पड़ रहा है. 12 से 13 घंटे मूर्ति बनाने में लग जाते हैं और भी अन्य काम करना पड़ता है लेकिन महंगाई के कारण उचित दाम नहीं मिलते है."

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