शारदीय नवरात्रि 2023 (Shardiya Navratri 2023) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के इन नौ दिनों में आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हालांकि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Elections 2023) को लेकर आदर्श आचार संहिता (Code of Conduct) भी लागू कर दी गई है, जिसके चलते इस बार दुर्गा पूजा आदर्श आचार संहिता के घेरे में हैं. पर्व और चुनाव तैयारियों के चलते छतरपुर (Chhatarpur) जिले में प्रशासन और पुलिस सक्रिय है. 'गंगा-जमुना' संस्कृति की मिशाल के रूप में कायम छतरपुर जिले के नागरिकों से इस परंपरा को बाहाल रखने के साथ-साथ शांति बनाये रखने की लगातार अपील की जा रही है. बता दें कि इस बार छतरपुर जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में लगभग 1000 माता रानी का दरबार सजाया गया है.
मां दुर्गा के नौ रूपों की होगी आराधना
हिमालय की पुत्री और प्रथम दुर्गा माने जाने वाली मां शैलपुत्री की आराधना के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई. जबकि नवरात्रि के दूसरे दिन यानी 16 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारणी की पूजा की गई. तीसरा दिन यानी 17 अक्टूबर को मां चंद्रघटा की पूजा, 18 अक्टूबर यानी चौथा दिन मं कुश्माण्डा, पांचवा दिन यानी 19 अक्टूबर को मां स्कंद माता, छठवां दिन यानी 20 अक्टूबर को मां कात्यानी, सातवां दिन यानी 21 अक्टूबर को मां कालरात्रि, आठवां दिन यानी 22 अक्टूबर को मां महागौरी, 23 अक्टूबर यानी नौवां दिन महानवमी होगी और 24 अक्टूबर यानी दसवें दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन (दशहरा) धूम धाम से किया जाएगा.
शारदीय नवरात्रि का है विशेष महत्व
हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है. मां दुर्गा की उपासना का ये पर्व साल में चार बार आता है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व सारदीय नवरात्रि होती है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरुआत होने वाली शारदीय नवरात्रि इस साल रविवार, 15 अक्टूबर से शुरुआत हुई है, जो 23 अक्टूबर, 2023 तक रहेगा.
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मां दुर्गा के सभी नौ रूपों का है अलग-अलग महत्व
आदि शक्ति मां जगदम्बा के नौ रूपों का अलग-अलग महत्व है. इनके इन्हीं नौ रूपों की उपासना से अलग अलग मनोकामना पूर्ण होते हैं. इस महापर्व को नारीशक्ति की आराधना पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
हर साल अलग-अलग वाहनों से आती है मां दुर्गा
भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्र प्रारंभ होने वाले दिन की वजह से मां दुर्गा हर बार अलग अलग वाहनों से आती है. उनका अलग अलग वाहनों से आना भविष्य का संकेत भी माना जाता है. जिससे ये पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. इस बार मातारानी का वाहन हाथी है, क्योंकि इस बार नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हुआ है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार और सोमवार को होती है तो मातारानी हाथी पर सवार होकर आती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इस याल अच्छी वर्षा, अच्छी फसल होने के साथ-साथ देश में अन्नधन का भंडार बढऩे के भी योग रहेंगे.