Narsinghpur Kareli Road Dispute: पहले बनाई सड़क, फिर उसे तोड़ा और अब उसकी तुड़ाई भी रोक दी गई. मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में इंजीनियरिंग की अजीब मिसालें देखने मिलती हैं. चाहे भोपाल का 90 Degree Bridge हो या फिर इंदौर के Zig-Zag Bridge और भोपाल Metro Line के नीचे सड़क खोदने जैसा मामला, लेकिन अब यही हाल छोटे शहरों में भी दिखने लगा है. ऐसा ही एक मामला नरसिंहपुर जिले के करेली नगर पालिका क्षेत्र स्थित महादेव वार्ड में सामने आया है.
करेली नगर पालिका ने करीब 120 फीट लंबी सड़क का निर्माण कराया था. लेकिन सड़क बनते ही विवाद खड़ा हो गया. दावा किया गया कि सड़क का एक हिस्सा निजी प्लॉट पर बनाया गया है. शिकायत के बाद नगर पालिका ने जांच कराई और फिर सड़क तोड़ने का निर्णय ले लिया. इस कार्रवाई पर सोशल मीडिया में नगर पालिका की जमकर किरकिरी हुई, जिसके बाद नगरपालिका ने अपने Official Facebook Page पर सफाई दी.
Narsinghpur Kareli Road Dispute
लेकिन जब यह मामला NDTV की खबर बना और लोग नगर पालिका पहुंचने लगे, तो तोड़फोड़ की प्रक्रिया रोक दी गई. अब सवाल उठ रहा है. आखिर सिस्टम करना क्या चाहता है? और जनता कब तक इस अफसरशाही का बोझ झेलती रहेगी?
आपत्तिकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई, फिर वही कार्रवाई अटकी
करीब छह महीने पहले बनी इस सड़क पर आपत्ति करने वाली कविता राजेश पाठक का कहना है कि यह रास्ता नहीं है और आधे रास्ते के आगे उनकी लगभग 30 फीट जमीन है, जिस पर सड़क बनाई गई है. इस मामले में उन्होंने नगर पालिका से लेकर कलेक्टर तक शिकायत की. इसके बाद तहसीलदार और पटवारी को जांच सौंपी गई और जांच में यह जमीन निजी स्वामित्व की पाई गई. जांच रिपोर्ट के बाद नगर पालिका ने आधिकारिक रूप से बताया कि क्यों तैयार सड़क को तोड़ा जा रहा है.
Narsinghpur Kareli Road Dispute
अब दूसरी आपत्तियों के बाद रुका काम
जैसे ही तोड़फोड़ का काम शुरू हुआ. आसपास के अन्य निवासियों ने अपने दस्तावेज पेश करते हुए इसे गलत बताया. इसके बाद सड़क तोड़ने की कार्रवाई रोक दी गई है. नगर पालिका के मुख्य अधिकारी श्रीकांत पाटर का कहना है कि अब मामले की फिर से जांच होगी.
यानी पहले सड़क बनाई गई, फिर आपत्ति पर जांच हुई, फिर सड़क तोड़ने की कार्रवाई शुरू हुई और अब दूसरी आपत्तियों के बाद फिर स्थिति यथावत है. यह पूरा मामला सिस्टम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है.
ठेकेदार को भुगतान नहीं
नगर पालिका अधिकारी श्रीकांत पाटर ने बताया कि जिस जगह आपत्ति है, उस हिस्से का भुगतान ठेकेदार को नहीं किया जाएगा. लेकिन जब एनडीटीवी ने पूछा कि गलती ठेकेदार की है या नगर पालिका इंजीनियरिंग टीम की?—तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.
सवाल यह है कि इंजीनियर, सुपरवाइज़र और तकनीकी टीम किसलिए नियुक्त हैं? क्या पूरा दोष ठेकेदार के सिर फोड़कर मामला समाप्त कर दिया जाएगा? फिलहाल, इस विवाद पर जांच पर जांच जारी है.
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