Narmada Parikrama: नर्मदा परिक्रमा को कमलनाथ ने बताया संकट का मार्ग, जानिए पूर्व CM ने क्यों ऐसा कहा?

Narmada Parikrama: मध्य प्रदेश और गुजरात को जोड़ने वाली नर्मदा नदी को देश की सबसे ज्यादा पुण्य देने वाली नदी माना जाता है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु इस नदी की परिक्रमा करते हैं. इसके लिए नर्मदा के किनारे पर मार्ग का निर्माण किया गया है. इसी मार्ग से बहुसंख्यक लोग जाते हैं.

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Narmada Parikrama: नर्मदा परिक्रमा को कमलनाथ ने बताया संकट का मार्ग, जानिए पूर्व CM ने क्यों ऐसा कहा?

Narmada Parikrama: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने नर्मदा नदी की परिक्रमा में बने मार्ग की स्थिति पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा मार्ग वर्तमान में श्रद्धालुओं के लिए सकंट का मार्ग बन गया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि नर्मदा परिक्रमा मार्ग श्रद्धालुओं के लिए संकट का मार्ग बन गया है. खरगोन जिले के सनावद क्षेत्र में नर्मदा परिक्रमा मार्ग की हालत बेहद खराब है. सरकार लगातार दावा करती है कि नर्मदा परिक्रमा मार्ग के विकास कार्य प्राथमिकता पर चल रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि मार्ग पर चलना भी कठिन हो गया है.

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कमलनाथ ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के मार्ग के हिस्से ग्राम अलीबुजुर्ग से टोंकसर के बीच की स्थिति का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने कहा कि संतों और श्रद्धालुओं के लिए टूटी सड़क और गड्ढों से भरे रास्ते उनकी पीड़ा बयां करने वाले हैं.

कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अनुरोध किया है कि नर्मदा परिक्रमा मार्ग को तत्काल प्राथमिकता में लेकर इसकी मरम्मत और विकास का कार्य शुरू करें, ताकि मां नर्मदा के भक्तों को राहत मिले और मां की परिक्रमा सुगम हो सके. यह सिर्फ सड़क नहीं, यह आस्था का मार्ग है, इसे सम्मान मिलना चाहिए.

दरअसल, मध्य प्रदेश और गुजरात को जोड़ने वाली नर्मदा नदी को देश की सबसे ज्यादा पुण्य देने वाली नदी माना जाता है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु इस नदी की परिक्रमा करते हैं. इसके लिए नर्मदा के किनारे पर मार्ग का निर्माण किया गया है. इसी मार्ग से बहुसंख्यक लोग जाते हैं.

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वर्तमान में इस मार्ग के कुछ हिस्से की हालत अच्छी नहीं है और श्रद्धालुओं को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. कई स्थानों पर पानी भरा हुआ है, तो कहीं-कहीं चलना भी आसान नहीं है. कई श्रद्धालु बगैर चप्पल या जूते पहने परिक्रमा करते हैं. उनके लिए यह स्थिति और भी मुश्किल भरी हो गई है.

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