मिलिए मुरैना की नंदिनी अग्रवाल से, दुनिया की सबसे युवा महिला CA, गिनीज बुक में भी नाम दर्ज

नंदिनी साल 2021 की सीए परीक्षा में देश में प्रथम स्थान पर रही थीं. मात्र 19 वर्ष 330 दिन में दुनिया की पहली महिला सीए बनने का गौरव हासिल करने वाली नंदिनी के बड़े भाई सचिन ने भी देश में 18वीं रैंक हासिल की थी.

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दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला सीए नंदिनी अग्रवाल

मुरैना : जिंदगी को जीना है तो सपने जिंदा रखिए, परिस्थितियां जो भी हों मन को उड़ता परिंदा रखिए... कुछ इन्हीं पक्तियों का अनुसरण करते हुए नंदिनी ने दुनिया की सबसे कम उम्र की सीए बनकर मुरैना का नाम रौशन किया है. उनका कहना है कि अगर आप सपने नहीं देखते तो आपके जीवन का कोई मतलब नहीं है, इसलिए सपने देखिए और उन्हें पूरा करके ही मानिए. माना कि रुकावटें आएंगी लेकिन आप में दृढ़ता है और लगन है तो आप अपने सपने को पूरा कर पाएंगे. दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला सीए बनने को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी मान्यता दी है. नंदिनी की सफलता का राज सोशल मीडिया से उनकी दूरी है.

दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला सीए बनीं नंदिनी अग्रवाल मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की रहने वाली हैं. मुरैना अंचल का नाम कभी डकैतों की सूची में आता था. अब इसे नंदिनी जैसी लड़कियों की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में भी जाना जाने लगा है.

नंदिनी साल 2021 की सीए परीक्षा में देश में प्रथम स्थान पर रही थीं. मात्र 19 वर्ष 330 दिन में दुनिया की पहली महिला सीए बनने का गौरव हासिल करने वाली नंदिनी के बड़े भाई सचिन ने भी देश में 18वीं रैंक हासिल की थी. नंदिनी से पहले सबसे कम उम्र के पुरुष 1956 में 19 साल के लखनऊ निवासी रामेंद्रचंद्र ने गिनीज रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया था.

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सोशल मीडिया और मोबाइल से बनाई दूरी
नंदिनी ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में दसवीं और 15 वर्ष की उम्र में 12वीं की परीक्षा उत्कृष्ट अंकों के साथ पास की थी. दोनों भाई-बहन ने एक साथ सीए की पढ़ाई की. इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया, मोबाइल से भी दूरी बनाकर रखी. दोनों का लक्ष्य हर हाल में सीए बनना था. उन्होंने लगभग 3 साल तक सामाजिक कार्यक्रम या अन्य गतिविधियों में भाग नहीं लिया. यहां तक कि वे घर से बाहर भी नहीं निकलते थे. दोनों के दोस्तों की सूची भी एक-दो संख्या के बाद बंद हो जाती है. उन्होंने सीए पढ़ाई के लिए सीधे तौर पर कोई कोचिंग नहीं की बल्कि सिर्फ ऑनलाइन कोचिंग से ही अध्ययन किया.

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परिवार को दिया उपलब्धि का श्रेय
लगातार 13 से 14 घंटे की अथक मेहनत का परिणाम 13 सितंबर 2021 को आया इसमें नंदिनी ने 800 में से 614 अंक लेकर 76.75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. नंदिनी ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने दादा-दादी, माता-पिता और भाई को दिया है. नंदिनी ने बताया कि परिजनों ने उन्हें हर वह सुविधा उपलब्ध कराई जिसे वह चाहती थीं. नंदिनी के दादा दिनेशचंद्र गुप्ता और पिता नरेशचंद्र गुप्ता कर अभिभाषक हैं. नंदिनी ने बताया कि उन्हें पेपर देने ग्वालियर जाना पड़ता था. चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी में उनके पापा उन्हें लेकर जाते और सेंटर के बाहर तीन से चार घंटे इंतजार करते.

'चंबल की लड़कियों से कहूंगी कि सपना देखिए'
 

नंदिनी ने कहा कि मैं चंबल की लड़कियों से इतना ही कहूंगी कि सपना देखिए. अगर आप सपना नहीं देखती हैं तो आपके जीवन का कोई मतलब नहीं है.

उन्होंने बताया कि जब मैं 11वीं कक्षा में थी तब मैंने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का सपना देखा था. हमारे स्कूल में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर आए थे. मैंने देखा कि सब लोग उनको इतना रिस्पेक्ट दे रहे थे. मुझे भी मन में लग रहा था कि कितनी बड़ी बात है. उसी दिन मैंने तय कर लिया कि मैं भी अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाकर रहूंगी. मैंने जो सपना देखा था, उसे पूरा किया.

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