Name Plate Controversy: अब साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने उछाला नेम प्लेट का मुद्दा, बोलीं- अब हिंदू दुकानदार करें ये काम

Pragya Singh Thakur: भोपाल से पूर्व सांसद ने यह अपील भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित होटलों और ढाबों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम उजागर करने के निर्देश जारी करने के विवाद के बीच की है. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने इन दोनों ही सरकारों के इन निर्देशों पर बाद में रोक लगा दी थी. इसके बावजूद प्रज्ञा ठाकुर में इस मुद्दे को हवा देने की हिमाकत की है.

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Supreme Court on UP Name Plate Controversy: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कांवड़ यात्रा वाले रूटों के लिए योगी सरकार की ओर से जारी हुआ नेम प्लेट का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट () के फैसले के बाद भी ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है. अब इस मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने फिर हवा देने की कोशिश तेज कर दी है. उन्होंने अब हिंदू दुकानदारों से कहा कि वे अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अपना नाम लिखें, ताकि हिंदुओं और गैर-हिंदुओं में अंतर किया जा सके.

भोपाल से पूर्व सांसद ने यह अपील भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित होटलों और ढाबों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम उजागर करने के निर्देश जारी करने के विवाद के बीच की है. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने इन दोनों ही सरकारों के इन निर्देशों पर बाद में रोक लगा दी थी. इसके बावजूद प्रज्ञा ठाकुर में इस मुद्दे को हवा देने की हिमाकत की है.

राज्य सरकार ने झाड़ लिया था पल्ला

इससे पहले उज्जैन के महापौर ने दावा किया था कि दुकान मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम और फोन नंबर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है, जिसके कुछ दिनों बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 21 जुलाई को स्पष्ट किया था कि राज्य में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकान मालिकों के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया और ऐसी कोई बाध्यता नहीं है.

प्रज्ञा ने इशारों में कही अपनी बात

साध्वी प्रज्ञा ने शनिवार को सोशल साइट ‘एक्स' पर कहा था कि मैं हर हिंदू से अपील करती हूं कि वे अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों पर अपना नाम लिखें, जो लोग अपना नाम लिखते हैं, वे हिंदू हैं और जो नहीं लिखते, वे हिंदू नहीं हैं. कोई भी आपको अपना नाम लिखने से नहीं रोक सकता, क्योंकि देश आपका है. बाकी सभी समझदार हैं.

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उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर मचा था बवाल

विपक्ष ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी निर्देशों को मुसलमानों के खिलाफ विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण बताया था और शीर्ष अदालत के आदेश ने प्रभावी रूप से सुनिश्चित किया कि उनके आदेशों को लागू किए बिना यात्रा आयोजित की जाए.

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