MP : साल भर में सिर्फ एक बार ही खुलता है इस मंदिर का पट, जानें क्या है इसका इतिहास 

Nagchandreshwar Mandir: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर का पट साल में सिर्फ एक बार खुलता है. 

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Madhya Pradesh News: नाग पंचमी पर वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन हम मध्य प्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है. ये मंदिर है नागचन्द्रेश्वर का. जो कि उज्जैन के बाबा महाकालेश्वर मंदिर में स्थित है. आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास का है. 

जानें इस मंदिर का इतिहास 

महाकालेश्वर मंदिर में गर्भ गृह में बाबा महाकाल, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर का मंदिर है. माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 1050 ईसवीं में परमार राजा भोज ने करवाया था. इसके बाद महाराज राणोजी सिंधिया ने सन 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार किया था. माना जाता है कि नागचंद्रेश्वर की दुर्लभ प्रतिमा 11वीं शताब्दी में नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी.

इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव जी पार्वती के साथ बैठे हैं. संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैय्या पर विराजित हैं. मंदिर में गणेश जी,सप्तमुखी नाग देव और दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं. शिव जी के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हैं.

ऐसे पहुंच सकते हैं

उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए दर्शनार्थी चारधाम मंदिर से लाइन में लगाकर बेरिकेटिंग से हरिसिद्धि माता मंदिर,बड़े गणेश मंदिर, विश्रामधाम होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं. मंदिर प्रशासन ने बारिश की संभावना को देखते हुए शेड की भी व्यवस्था की है. श्रद्धालु बाबा महाकाल के भी दर्शन करना चाहते हैं, वे  नंदी द्वार से प्रवेश कर महाकाल लोक मानसरोवर फिर टनल होते हुए कार्तिकेय मंडपम और फिर नीचे गणेश मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते हैं.

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