ऐसे कैसे सरकार! BMC का हाल बेहाल, 800 करोड़ का कर्ज, फिर भी सत्कार के लिए निकाल दिया इतने का टेंडर

Bhopal Municipal Corporation: मध्य प्रदेश के भोपाल नगर निगम के आर्थिक हालात काफी चिंताजनक हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि 800 करोड़ रुपये के कर्ज के बावजूद भी निगम ने स्वागत सत्कार के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का टेंडर निकाला है. जानें निगम के ऊपर किसका-किसका कितना कर्ज है.

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MP News In Hindi: अजब एमपी की गजब कहानी आई है प्रदेश की राजधानी भोपाल के नगर निगम कार्यालय से. बता दें कि नगर निगम भोपाल के ऊपर घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने वाले कहावत सच साबित हो रही है.इसके बाद भी देश की सबसे स्वच्छ राजधानी भोपाल का नगर निगम स्वागत सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है.

चर्चा में आया स्वागत सत्कार टेंडर

नगर निगम भोपाल कार्यालय का चित्र.

स्वागत सत्कार के लिए साल भर में डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस साल फूल माला और बुके के लिए निगम ने बकायदा इसका टेंडर निकाला है.ये और बात है कि निगम 800 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में डूबा हुआ है.ठेकेदारों का 60 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान लंबित है.इसको लेकर ठेकेदारों ने अर्धनग्न प्रदर्शन किया है.

ठेकेदारों करोड़ों रुपये अटके

भोपाल नगर निगम की आर्थिक स्थिति खस्ता.

आधे कपड़ों में ये भोपाल नगर निगम के ठेकेदार नाराज हैं, क्योंकि इनके करोड़ों का भुगतान अटका है नगर निगम खुद करोड़ों के कर्ज में है,लेकिन फिलहाल उसे फिक्र स्वागत सत्कार की है...निगम ने अखबार में टेंडर का इश्तिहार जारी किया है, जिसके मुताबिक फूल-बुके के लिए साल भर की राशि डेढ़ करोड़ रुपये रखी गई है. इस मामले प्रेम कुमार, उपाध्यक्ष निगम ठेकेदार संघ नगर निगम बताते है कि निगम चंद ठेकेदारों का भुगतान कर देती है, करोड़ रुपये हमारे बकाया हैं निगम कोई भुगतान नहीं कर रहा.

ये कहते हैं जिम्मेदार

नगर निगम ने जिन कार्यों के भूमि पूजन कर दिए हैं...वहां पर काम ही नहीं शुरू हो पा रहा है.. करोड़ों का बिजली बिल नहीं चुकाने पर आए दिन बिजली कंपनी निगम का स्ट्रीट लाइट कनेक्शन काट देती है.भोपाल की मेयार मालती राय की माने तो कर्ज को पटाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. यह कौन सा टेंडर है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है. जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगी..

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चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से आस

2017 से पहले जनसंख्या के आधार पर चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि सरकार देती थी. 2017 के बाद से यह राशि नहीं बढ़ाई गई है, जिससे नगर निगम का वेतन और बिजली खर्च निकल जाता था. अभी निगम को मात्र 24 करोड़ रुपये प्रति माह चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिल रहे हैं. निगम के ऊपर वेतन और पेंशन का खर्च 32 करोड़ रुपये प्रति माह है. राज्य सरकार 24 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ रुपये पुराने बिजली बिल का काट लेती है. निगम को 14 करोड़ रुपये ही प्रतिमाह मिलते हैं.

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इस मामले में विपक्ष हमलावर

जिसके कारण कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो जाता है. कुल मिलाकर कर्ज की किस्त चुकाना और खर्च चलाना निगम के लिए भारी पड़ रहा है.ऐसे में डेढ़ करोड़ रुपये का बजट स्वागत सरकार में खर्च होने पर विपक्ष नाराजगी जता रहा है.अभिनव बारोलिया कांग्रेस प्रवक्ता की माने तो समझ नहीं आता नगर निगम अपना पैसा कहां छुपाकर रख रखा है, किस पैसे से वह काम कर रहे हैं, स्ट्रीट लाइट से लेकर सड़क बदहाल है.  

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