Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan Fund Scam: भिंड से जिला शिक्षा विभाग के राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. विभाग में पदस्थ एडीपीओ संजीव दूरवार पर रमसा के बजट में भारी गड़बड़ी, फर्जी बिलों के आधार पर भुगतान और नियम विरुद्ध राशि ट्रांसफर करने के गंभीर आरोप लगे हैं. हैरानी की बात यह है कि तमाम शिकायतों और जांच के आदेश के बावजूद अब तक अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.
कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश, दो सदस्यीय टीम बनाई
तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के खर्च की शिकायतों के बाद दो सदस्यीय जांच समिति गठित की थी. जांच टीम ने जब दस्तावेज मांगे तो एडीपीओ संजीव दूरवार ने कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया. मामला गंभीर देखकर जांच टीम ने इसकी लिखित शिकायत तत्कालीन कलेक्टर को भेजी. कलेक्टर ने इसे अनुशासनहीनता, वित्तीय अनियमितता और बजट के दुरुपयोग का मामला मानते हुए चंबल कमिश्नर, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय और प्रमुख सचिव, शिक्षा भोपाल को कार्यवाही की अनुशंसा वाला पत्र भेजा था.
प्रयोगशाला, पुस्तकालय और कंप्यूटर शिक्षा में हुआ भ्रष्टाचार
रमसा के तहत स्कूलों में प्रयोगशाला निर्माण, पुस्तकालय व पेयजल व्यवस्था, शौचालय निर्माण, अतिरिक्त कक्षाएं, बालिका शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और कंप्यूटर शिक्षा जैसे मदों के लिए बजट आता है. लेकिन जांच में सामने आया कि दो साल तक फर्जी बिल, मनमाने भुगतान, और बिना कोटेशन के खर्च दिखाकर फंड का दुरुपयोग किया गया.
35 लाख रुपए में भरी गई फर्जी टीए-डीए और रेमेडियल टीचिंग की एंट्रियाँ
2022-24 के दौरान रमसा के बजट से लगभग 35 लाख रुपए विभिन्न मदों में ऐसे बिलों के आधार पर जारी कर दिए गए, जिनमें—रेमेडियल टीचिंग, टीए/डीए भुगतान, ट्रेनी टीचर के लंच जैसी प्रविष्टियाँ थीं, जबकि इन खर्चों का कोई वास्तविक कार्य नहीं हुआ. अधिकांश भुगतान बिना कोटेशन लिए किए गए, जो नियमों का खुला उल्लंघन है.
वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले बजट बचाने के लिए किया खेल
रमसा का बजट लैप्स न हो, इसके लिए वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले एडीपीओ ने बड़ी राशि पूर्व डीईओ के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी. इसके बाद उस राशि से अलग-अलग मदों में फर्जी भुगतान किए गए. डीजी–गवर्नमेंट पोर्टल पर अपलोड किए गए बिल और नोटशीट में क्रिएटर वेरिफिकेशन नहीं, डीईओ के हस्ताक्षर नहीं, कई फाइलों में दिनांक तक मेल नहीं खाई. यह दर्शाता है कि फंड को खर्च दिखाने के लिए कागजी हेरफेर की गई.
फर्मों के अलग-अलग खातों में प्रति दिन भुगतान
जांच में यह भी सामने आया कि एडीपीओ संजीव दूरवार ने रमसा का बजट कई बार विभिन्न फर्मों के खातों में ट्रांसफर किया. कुछ भुगतान एक ही फर्म को अलग-अलग तारीखों में किए गए, जो संदिग्ध माना जा रहा है.
इन फर्मों को भुगतान हुआ—
- राधिका कंप्यूटर एंड प्रिंटर्स – ₹4,04,288
- अपना सिंह ढाबा – ₹1,22,359
- परमहंस टूर एंड ट्रैवल्स – ₹27,432
- अमर सिंह ट्रेवल्स – ₹11,900
अन्य फर्मों को भी लाखों रुपये का भुगतान दिखाया गया. इनमें कई खर्च न तो वास्तविक पाए गए और न ही इनके समर्थन में दस्तावेज मिले.
दो साल चला फर्जी भुगतान का खेल, कार्रवाई अब भी अधर में
साल 2022-23 और 2023-24 के बीच जारी बजट को अवैध रूप से दूसरे खातों में भेजकर, फर्जी बिल बना कर और नोटशीट में गलत एंट्री दिखाकर करोड़ों की गड़बड़ी की गई. हालांकि तत्कालीन कलेक्टर ने गंभीर वित्तीय अनियमितता देखते हुए उच्च अधिकारियों को कार्यवाही की अनुशंसा भेजी थी, लेकिन आज तक इस प्रकरण में निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है.
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