Muharram 2024: मोहर्रम पर मुसलमानों ने अब ये काम करने से की तौबा, बताई ये वजह

Mahoram Taziya: खरगोन शहर में मोहर्रम को लेकर आयोजित हुई बैठक में मौजूद इमाम और मौलानाओं ने कहा कि डीजे बजाना शरीयत में हराम होने के साथ ही कानूनी रूप से भी जुर्म है. इसके साथ ही डीजे पर फूहड़ता वाला डांस किया जाता है, जो कि जुलूस जैसे पवित्र आयोजन की गरिमा को गिराता है.

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Muharram Taziya: इस महीने यानी जुलाई की 16 तारीख को देशभर में इस वर्ष मोहर्रम का जुलूस (Muharram Juloos) निकाला जाएगा. इससे पहले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन (Khargone) शहर में मुस्लिम (Indian Muslims) समाज  बुद्धिजीवियों और इमामों की बैठक आयोजित की गई थी. शहर के जमात खाने में सामाजिक संस्था जमात-ए-इस्लाहुल मुस्लिमीन (Jamaat-E-Islahul Muslimeen) की ओर से आयोजित बैठक में सबकी सहमति से पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद  (स) के नवासे (नाती) की शहादत की बरसी पर निकलने वाले जुलूस के दौरान डीजे और किसी भी तरह के साउंड सिस्टम का प्रयोग न करने पर सहमति बनी. इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि इस बार जुलूस शांति और आपसी भाईचारे के साथ निकाला जाएगा. 

फैसला नहीं मानने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार

खरगोन शहर में मोहर्रम को लेकर आयोजित हुई बैठक में मौजूद इमाम और मौलानाओं ने कहा कि डीजे बजाना शरीयत में हराम होने के साथ ही कानूनी रूप से भी जुर्म है. इसके साथ ही डीजे पर फूहड़ता वाला डांस किया जाता है, जो कि जुलूस जैसे पवित्र आयोजन की गरिमा को गिराता है. वहीं, इस तरह के डीजे साउंड युवाओं में नशे को भी बढ़ावा देता है. इस तरह जमात खाने में हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इस पाबंदी को सभी मुहल्ला कमेटियों को अनिवार्य रूप से मानना होगा. यदि कोई शासन, प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के पास परमिशन लेने जाता है, तो ऐसे में उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

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शादी में डीजे पर पहले ही लगा चुके हैं बैन

बता दें कि इस बैठक में सामाजिक संस्था जमात-ए- इस्लाहुल मुस्लिमीन के मेंबर और अहले सुन्नत वल जमात के उलेमा मौलाना उस्मान, मुसअब मुफ्ती जिलानी, मौलाना कुतुबुद्दीन कादरी, हाफिज कलीम, हाफिज मोहसिन, मुफ्ती तैयब, सदर आरिफ खान, जाकिर खान, मकबूल खान के साथ ही सेक्रेटरी और पूर्व सदर अल्ताफ आजाद, जाकिर हाफिज सहित शहर भर के मौलाना मौजूद थे. उल्लेखनीय है कि इसके पहले जमात ने शादी में भी डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था, जिस पर आज भी समाज के लोग अमल कर रहे हैं.

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