भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ MSME, CM मोहन यादव बोले- 5084 युवाओं को बिना गांरटी के दिया लोन

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमएसएमई सम्मेलन में उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और रोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. यह वर्ष हम निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में मना रहे हैं. हम आज हमारी युवा शक्ति, हमारे सपनों और अपने सुनहरे भविष्य में निवेश कर रहे हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उद्यम क्रांति योजना ने प्रदेश के हजारों युवाओं को बैंकिंग सहायता देकर उद्योग शुरू करने का हौसला दिया है. अब हमारे युवा रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. आप सभी देश का कोष भरते हैं। रोजगार के अवसर देते हैं और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत करते हैं. दीपावली से पहले इस मंच पर नए भारत के निर्माण की रोशनी फैली है. उन्होंने कहा कि आज का यह सम्मेलन औद्योगिक कार्यक्रम नहीं बल्कि नए भारत के दीपोत्सव का शुभारंभ है. यह सम्मेलन विश्वास और स्वाभिमान का उत्सव है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को भोपाल के एक निजी होटल में आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सरकार का लक्ष्य युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है. राज्य सरकार ने साल 2025 को निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.

MSME को बताया रीढ़

मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. ये ना सिर्फ रोजगार देते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव को भी मजबूत करते हैं. सम्मेलन में 700 एमएसएमई इकाइयों को 197 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई. यह राशि सिंगल क्लिक के जरिए उद्यमियों के खातों में भेजी गई. मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 5084 युवाओं को 347 करोड़ रुपये से ज्यादा का बैंक ऋण (बैंक लोन) दिया गया. यह ऋण बिना गारंटी दिया गया है.

स्टार्टअप को सहयोग

63 स्टार्टअप्स को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। हर स्टार्टअप को साल भर के लिए हर महीने ₹10,000 की मदद दी जा रही है. 237 उद्यमियों को उद्योग के लिए जमीन के आवंटन पत्र दिए गए. इस साल अब तक 800 से ज्यादा भूखंड दिए जा चुके हैं. यह प्रक्रिया अब सरल और पारदर्शी हो गई है. प्रदेश में मौजूद 6000 से अधिक स्टार्टअप्स में 47% महिलाओं की भागीदारी है. इससे यह साफ है कि महिलाएं अब उद्योग जगत में आगे बढ़ रही हैं.

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गांवों तक फैला रोजगार

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-कस्बों में लघु उद्योगों से रोजगार के नए मौके बन रहे हैं. ये उद्योग स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. माहेश्वरी साड़ी, शरबती गेहूं, रायसेन का बासमती चावल जैसे स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की योजना है.

नया उद्योग क्षेत्र तैयार

प्रदेश में 19 नए औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा 10 और क्षेत्र विकसित करने की योजना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि "वोकल फॉर लोकल" और "आत्मनिर्भर भारत" के लिए एमएसएमई सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं.

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सरकारी योजनाओं से मदद

प्रदेश में अब तक 2500 यूनिट्स को 2162 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है. लैंड लॉक सब्सिडी जैसी नई योजनाओं से भी छोटे उद्यमियों को लाभ हो रहा है. मध्यप्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी 2025 के तहत युवाओं को शुरुआती मदद और मार्गदर्शन दिया जा रहा है. 102 इंक्यूबेशन सेंटर उनके आइडिया को आकार देने में मदद कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन के दौरान बालाघाट और टीकमगढ़ के उद्यमियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की और उन्हें प्रोत्साहित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हर उद्यमी और युवा के साथ खड़ी है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए हर संभव मदद दी जाएगी.

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