Yellow Gold : गेहूं पर मंडरा रहा बड़ा खतरा! मध्य प्रदेश में मौसम की मार से बढ़ी अन्नदाताओं की चिंता

Weather, Unseasonal Rain : मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में मौसम ने करवट बदली है. इसके बाद से मंडी और खेतों में रखी उपज पर संकट मंडराता हुआ दिख रहा है. ऐसा ही संकट विदिशा में दिख रहा है पीला सोना कहे जाने वाले गेहूं की फसल पर.

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विदिशा: बेमौसम बारिश से किसानों को दोहरी मार, मंडी मं रखी उपज पर फफूंद का संकट. 

Unseasonal Rains In MP : मध्य प्रदेश के किसानों की चिंता बढ़ गई. विदिशा में आंधी और बारिश के बाद से किसान परेशान दिख रहे हैं. मंडी और खलिहानों पर रखी उपज पर उन्हें खतरे का डर सता रहा है. जहां खेतों में हर साल इन दिनों मंडियों में पीला सोना कहे जाने वाला गेहूं मंडियों और खेतों में दिखाई देता था. लेकिन इस साल अब पीले सोने पर प्राकृतिक खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. बदलते मौसम ने अन्नदाताओं की चिंता बढ़ा दी है. गर्मी के दिनों में होने वाली बारिश से नुकसान की संभावना है. क्योंकि मंडी में खुले आसमान के नीचे किसानों की उपज पड़ी हुई है. 

वहीं, इस बार उन खेतों में बेमौसम बारिश और तेज हवाओं ने सन्नाटा फैला दिया है. विदिशा जिले में हाल ही में हुई अचानक और असमय बारिश ने किसानों की नींद उड़ा दी है. फसलों पर अब  नमी और फफूंद ने गेहूं की चमक छीन ली है और किसानों की मेहनत को गहरा धक्का पहुंचाया है.

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बदलते मौसम ने बिगाड़ा संतुलन

हर साल की तरह इस बार भी किसानों ने उम्मीदों के साथ अपनी जमीन पर गेहूं बोया था, खासकर विदिशा का मशहूर ‘शरबती गेहूं', जिसकी मिठास और चमक देशभर में पहचानी जाती है. लेकिन अप्रैल के अंतिम सप्ताह में और मई की शुरुआत में आई बेमौसम बारिश और आंधी ने इस उम्मीद को आहत कर दिया. खेतों में तैयार खड़ी फसल जमीन पर गिर गई, बालियों में पानी भर गया और वातावरण में नमी बढ़ गई.

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किसानों की जुबानी: "अब क्या उगाएं, क्या खाएं?"

गांव बासौदा के किसान सुरेश बघेल कहते हैं, "मैंने 12 बीघा में गेहूं बोया था. शरबती थी, सोचा था अच्छे दाम मिलेंगे। लेकिन अब दाने काले पड़ने लगे हैं. फफूंद की वजह से कोई व्यापारी लेने को तैयार नहीं है. राधेश्याम अहिरवार, जो बरखेड़ा क्षेत्र के किसान हैं, बताते हैं, "हम साल भर इसी फसल पर निर्भर रहते हैं. अगर यही खराब हो गई, तो अगली फसल की बोनी तक मुश्किल हो जाएगी. कर्ज भी चुकाना है, बच्चों की फीस भी देनी है."

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फसल की गुणवत्ता पर सीधा असर

बारिश और बाद की नमी से गेहूं की  फफूंद तेजी से फैलती है. फफूंद लगे गेहूं के दाने काले पड़ जाते हैं, वजन में हल्के हो जाते हैं और उनसे निकलने वाला आटा भी खराब गुणवत्ता का होता है. इससे खरीदार मंडियों में या तो ऐसे गेहूं को खरीदते ही नहीं, या बेहद कम कीमत देते हैं. 

शरबती गेहूं: विदिशा की पहचान पर संकट

‘शरबती' गेहूं मध्यप्रदेश के कुछ खास क्षेत्रों में ही होता है. विदिशा उनमें सबसे प्रमुख है. यह गेहूं अपने चमकदार दानों, मीठे स्वाद और उच्च गुणवत्ता के लिए पहचाना जाता है. लेकिन फसल की गिरती गुणवत्ता, लगातार बदलते मौसम और बेमौसम बारिश ने शरबती गेहूं के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

विशेषज्ञों का मानना है पारंपरिक किस्में जैसे शरबती भविष्य में दुर्लभ हो जाएंगी. किसानों को इसके लिए प्रशिक्षण और नई तकनीकों की ज़रूरत है."

दोहरी मार: नुकसान की गिनती और भविष्य की चिंता

किसानों को सिर्फ उत्पादन में गिरावट का डर नहीं है, बल्कि इस नुकसान का सीधा असर उनकी आर्थिक स्थिरता, कर्ज भुगतान, अगली फसल की तैयारी, बच्चों की शिक्षा और पारिवारिक जिम्मेदारियों पर पड़ रहा है. एक तरफ कच्ची फसल की बर्बादी, दूसरी तरफ मंडियों में मिल रही कम कीमत यह स्थिति किसानों को मानसिक रूप से भी तोड़ रही है.

समाधान की दिशा में सुझाव

1. जलवायु-अनुकूल खेती: किसानों को ऐसी फसलें अपनाने की सलाह दी जानी चाहिए जो अधिक नमी और तापमान सहन कर सकें.

2. फसल बीमा को सशक्त बनाना: बीमा क्लेम के लिए ऑनलाइन सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाना जरूरी है.

3. भंडारण और सुखाने की व्यवस्था: पंचायत स्तर पर अनाज सुखाने और भंडारण के साधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि बारिश से नुकसान कम हो.

4. प्रशासनिक तत्परता: समय पर राहत देने के लिए जिला स्तर पर एक आपात समिति बनाई जाए.

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खेतों में फसल नहीं, आंसू बो रहे हैं किसान

विदिशा का किसान आज एक कठिन दौर से गुजर रहा है. जहां उसकी मेहनत को आसमान की बेरुखी ने धो डाला, वहीं सिस्टम की धीमी प्रक्रिया उसकी उम्मीदों को भी मटियामेट कर रही है.

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