जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए बांस की खेती करे MP, विशेषज्ञों ने दी सलाह

विशेषज्ञों ने कहा कि मानवता ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है. हम बांस की खेती करके इससे निपट सकते हैं, जिसका एक पेड़ (झुट) 180 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है.

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सांकेतिक फोटो

Climate Change & Global Warming: महाराष्ट्र कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने सोमवार को कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और 'ग्लोबल वार्मिंग' (Global Warming)) से निपटने के लिए बांस की खेती को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में कहा है कि वह 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर बांस की खेती के लिए छोटे किसानों को सहायता प्रदान करेगी.

पटेल ने कहा, 'मानवता ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है. हम बांस की खेती करके इससे निपट सकते हैं, जिसका एक पेड़ (झुट) 180 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है और 320 किलोग्राम ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ सकता है.' पटेल ने दो दिन पहले मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंषाना से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा, 'मैंने एमपी सरकार को बड़े पैमाने पर बांस की खेती करने का सुझाव दिया है.'

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'बिजली उत्पादन के लिए फायदेमंद है बांस'

एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश में सभी सरकारी ताप बिजली उत्पादन इकाइयां प्रतिदिन 5,90,000 मीट्रिक टन कार्बन वायुमंडल में छोड़ती हैं, बिजली उत्पादन के ईंधन के रूप में बांस कोयले का विकल्प हो सकता है. उन्होंने दावा किया, 'कोयले का कैलोरी मान 4,000 किलो कैलोरी/किग्रा है जबकि अन्य कृषि अवशेष (बायोमास) का कैलोरी मान प्रति किलोग्राम 2,200 से 2,500 किलो कैलोरी है. इसलिए बांस बिजली उत्पादन के लिए फायदेमंद है क्योंकि इसे जलाने से वायुमंडल में एक चक्र बन जाएगा. ऐसा कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित करने और ऑक्सीजन छोड़ने की बांस की अद्वितीय क्षमता के कारण होगा.'

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बांस की खेती को बढ़ावा देने की अपील

उन्होंने कहा कि देश को बायोमास की आवश्यकता 700 लाख मीट्रिक टन है, जबकि वर्तमान में केवल दो लाख मीट्रिक टन का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस अंतर को तभी पूरा किया जा सकता है जब बांस की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाए. पटेल ने कहा कि कंषाना ने सुझाव की सराहना की और इसे ठीक से लागू करने के लिए निर्देश जारी किए. पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र की तरह मध्य प्रदेश में भी किसानों के हित में कृषि कीमतें तय करने के लिए आयोग होना चाहिए.

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