MP Politics: क्या रुस्तम सिंह की होगी 'घर वापसी'? RSS के कार्यक्रम में शामिल, BSP से BJP में आने के संकेत

MP Politics: पूर्व मंत्री और BSP के वरिष्ठ नेता रुस्तम सिंह की घर वापसी यानी BJP का दामन फिर से थामने की अटकलें तेज हो गई हैं. आरएसएस के पथ संचलन में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह व उनके बेटा राकेश सिंह नजर आए. इसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर लोगों में इसकी चर्चा हो रही है.

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MP Politics: क्या रुस्तम सिंह की होगी 'घर वापसी'? RSS के कार्यक्रम में शामिल, BSP से BJP में आने के संकेत

MP Politics: मध्यप्रदेश में पूर्व मंत्री रहे रुस्तम सिंह के एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. राजनीतिक हलकों में यह चर्चाएं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पथ संचलन के बाद बौद्धिक कार्यक्रम के बाद तेज हुई हैं. संघ के इस बौद्धिक कार्यक्रम में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह अपने पुत्र राकेश सिंह के साथ शामिल हुए थे. इस दौरान पिता पुत्र लगभग एक घंटे तक सामान्य अतिथि की तरह संघ कार्यकर्ताओं तथा गणमान्य नागरिकों के बीच उपस्थित रहे. हालांकि इसे भाजपा, कांग्रेस तथा संघ से जुड़े लोग पूर्व मंत्री का व्यक्तिगत मामला बता रहे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा को रुस्तम सिंह का पुराना घर बता रही है. हालांकि भाजपा में आने के बाद रुस्तम सिंह व उनके पुत्र राकेश सिंह से राजनैतिक रूप से कुछ भी प्रभावित न होना है. वहीं भाजपा कार्यकर्ता यह निर्णय पार्टी प्रमुख ही द्वारा लेना बताया जा रहा है. 

पुलिस विभाग में रुस्तम सिंह दे चुके हैं सेवाएं

मध्य प्रदेश शासन में उप पुलिस अधीक्षक के पद से शामिल हुए रुस्तम सिंह पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पहुंचने के बाद वर्ष 2003 में सेवानिवृत्ति ले ली थी. उस वर्ष भाजपा ने मुरैना विधानसभा क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवार बनाया, जिसमें रुस्तम सिंह ने बसपा प्रत्याशी परशुराम मुद्गल को 5000 से अधिक मतों से पराजित किया था.

भाजपा ने वर्ष 2004 से 2008 तक चार प्रमुख विभाग खेल, खाद्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा स्वास्थ्य विभाग का मंत्री बनाया. वर्ष 2008 के चुनाव में मंत्री रहते हुए रुस्तम सिंह विधानसभा चुनाव में पराजित हो गये. इस बार बसपा प्रत्याशी परशुराम मुद्गल प्रथम तथा कांग्रेस प्रत्याशी सोबरन सिंह मावई दूसरे स्थान पर रहे. भाजपा ने इन्हें अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया.

वर्ष 2013 के चुनाव में तीसरी बार मुरैना विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा इन्होंने बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया को 1700 मतों से पराजित किया. सरकार में एक बार फिर उन्हें महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाया था. चौथी बार वर्ष 2018 के चुनाव में मंत्री रहते रुस्तम सिंह एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार रघुराज सिंह कंसाना से पराजित हो गये थे.

वर्ष 2020 में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक भूचाल दलबदल से आया. इसके बाद हुए उपचुनाव में पार्टी के चेहरे बदल गए. भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व विधायक रघुराज कंसाना को चुनावी मैदान में उतारा. वहीं रुस्तम सिंह को दरकिनार कर दिया.

इसके बाद 2023 के आम चुनाव में एक बार फिर रघुराज सिंह कंसाना को चुनावी मैदान में भाजपा द्वारा उतारे जाने से नारा होकर रुस्तम सिंह ने व उनके पुत्र बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए. मुरैना विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में रुस्तम सिंह ने अपने बेटे को प्रत्याशी बनवा दिया. हालांकि राकेश रुस्तम सिंह तीसरे स्थान पर रहे. इसके बाद से लगातार रुस्तम सिंह तथा उनके पुत्र राकेश सिंह की भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं होती रहती है.

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