आठ साल में भी नहीं बन पाया आधा किलोमीटर का रेलवे पुल, ग्वालियर में क्यों धीमी पड़ गई ब्रिज बनने की चाल?

Gwalior News: नौ दिन में ढ़ाई कोस चलने की कहावत अब छोटी नजर आ रही है, ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ग्वालियर में आठ साल में भी आधा किलोमीटर का रेलवे पुल नही बन पाया. हजारों लोग इससे परेशान हो रहे हैं और अपनी जान जोखिम मे डाल कर रेल पटरियों से लोगों को गुजरना पड़ता है.

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Gwalior News: नौ दिन चले अढ़ाई कोस कहावत का प्रयोग किसी व्यक्ति या काम की धीमी चाल के लिए किया जाता है लेकिन ग्वालियर में निर्माण कार्यों की मंथर गति ने इस कहावत को भी झुठला दिया क्योंकि कहावत में तो नौ दिन में ढाई कोस चलने पर ही तंज कसा जाता है लेकिन ग्वालियर में महज एक रेलवे क्रॉसिंग को पार करने के लिए बनाए जा रहे एक रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) को बनने में आठ साल लग गए...

ग्वालियर में यह आरओबी विवेकानंद नीडम के पास बन रहा है. इसके बनाने के पीछे इसके पीछे के क्षेत्र को विकसित करना और शहर के वाहनों को सीधे नेशनल हाइवे तक पहुंचाना था. लेकिन नाका चंद्रवदनी से सीधे कलेक्ट्रेट होकर झांसी रोड  हाइवे से जोड़ने वाले इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि बीच मे ग्वालियर-भोपाल रेलवे ट्रैक है और इस पर ट्रेनों का ट्रैफिक बहुत है क्योंकि दिल्ली से दक्षिण जाने वाली सभी ट्रैन यहीं से गुजरती है. अभी तक यहां रेलवे गेट था. इस दिक्कत को खत्म करने के लिए सरकार ने रेलवे से बात करके यहां एक रेलवे ओवर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव बनाया जिसे 2017 में स्वीकृति मिली और इसके लिए 42 लाख 80 हजार रुपये का बजट भी मंजूर हुआ. 

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2019 में पूरा होने का दिया गया था टारगेट 

इस आरओबी पर समारोहपूर्वक काम शुरू हो गया और इसे 2019 में पूरा होने का टारगेट दिया गया. इस मामले की गति शुरू में तो ठीक रही. राज्य सरकार द्वारा अपने हिस्से का ज्यादातर काम तो पूरा कर लिया लेकिन रेल विभाग में अफसरों ने कोई रुचि नही ली. अभी पुल को सड़क से दोनों साइड जोड़ने का काम अटका पड़ा हैं. 

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ग्वालियर रेलवे ओवर ब्रिज

  • ग्वालियर शहर में नाका चंद्रवदनी से नई कलेक्ट्रेट रोड ओर बन रहा है आरओबी
  • 2017 में स्वीकृत हुआ था यह आरओबी
  • 967 मीटर है आरओबी की लंबाई
  • 2019 में होना था इसका काम पूरा
  • 2025 में भी नही हो सका मुक्कमल
  • 42 . 80 लाख का बजट हुआ था मंजूर लेकिन समय पर काम पूरा न होने से बढ़ गई लागत 
  • शहर को नेशनल हाइवे से जोड़ता है यह मार्ग 
  • कलेक्ट्रेट जाने का भी है यह रास्ता 
  • इस आरओबी क़ी दोनों तरफ रहती हैं लाखों की आबादी

लोग परेशान 

इस पुल क़े आसपास रहने और व्यापार करने वाले दुकानदार भी आठ साल से परेशान हैं. लगातार उड़ती धुल ने उनका व्यापार ही चौपट नहीं किया बल्कि स्वास्थ्य भी बिगाड़ दिया. पुल क़ी दोनों तरफ अनेक कॉलोनियां और टाउनशिप मे हजारों लोग रहते हैं, जिन्हे जान जोखिम मे डालकर रेल की पटारियों को पार करके ही आना जाना पड़ता है. साथ ही लंबे समय से इस आरओबी का काम पूरा न होने से आम लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि अब रास्ता एकदम बन्द हो पड़ा है जबकि सिटी से कलेक्ट्रेट की तरफ जाने का भी यही एक रास्ता है. 

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क्या बोले सांसद? 

इस पुल का काम पूरा होने को लेकर तारीख पर पर तारीख़ दी जाती रही लेकिन चींटी की रफ्तार में चलने वाले इसक़े कार्य ने उन वादों को कभी हकीकत मे नहीं बदला. अब एक बार फिर स्थानीय सांसद भारत सिंह कुशवाह ने इसके शीघ्र शुरू करने का भरोसा दिया. एनडीटीवी से बात करते हुए कुशवाह ने कहा कि अब इसका काम अंतिम चरण में है और कुछ ही महीनों मे इसका लोकार्पण कर दिया जायेगा. 

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