पर्वतारोही भावना डेहरिया को विक्रम पुरस्कार देने पर अंतरिम रोक, MP हाईकोर्ट ने कहा- 'जब तक मेघा परमार की याचिका पर निर्णय नहीं...'

Vikram Award: छिंदवाड़ा की रहने वाली डेहरिया को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसे डेहरिया के चयन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उसने 22 मई, 2019 को उससे पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

MP Hight Court: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पर्वतारोही भावना डेहरिया को वर्ष 2023 के लिए साहसिक खेलों के वास्ते विक्रम पुरस्कार देने पर तब तक अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि जब तक एक अन्य पर्वतारोही मेघा परमार की याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक पर्वतारोही भावना डेहरिया को विक्रम पुरस्कार नहीं दी जाएगी. न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने यह रोक लगाई है. साथ ही याचिका में आवश्यक संशोधन की अनुमति दी है. अगली सुनवाई 5 जनवरी 2026 के लिए निर्धारित की.

2023 में मध्य प्रदेश सरकार ने विक्रम पुरस्कार की घोषणा की थी

सीहोर की निवासी परमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 2023 के लिए साहसिक खेलों के लिए विक्रम पुरस्कार की घोषणा की है.

छिंदवाड़ा की रहने वाली डेहरिया को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसे डेहरिया के चयन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उसने 22 मई, 2019 को उससे पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था.

पर्वतारोही मेघा परमार का दावा

परमार ने दावा किया है कि उन्होंने डेहरिया से पहले तिरंगा फहराया था और दोनों के बीच लगभग पांच घंटे का अंतर था. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह सुबह पांच बजे शिखर पर पहुंची, जबकि डेहरिया ने सुबह 9:45 बजे यह उपलब्धि हासिल की.

Advertisement

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने डेहरिया से पहले माउंट एवरेस्ट फतह किया था, इसलिए वह भी विक्रम पुरस्कार की हकदार है. पिछली सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि 2022 विक्रम पुरस्कार चयन प्रक्रिया के नियमों में ढील दी गई थी और राज्य के दो पुरुष एथलीट - पर्वतारोही भगवान सिंह और रत्नेश पांडे के नामों को मंजूरी दी गई थी.

उसने कहा कि साल 2016 में माउंट एवरेस्ट फतह करने के लक्ष्य को हासिल करने में दोनों के बीच एक घंटे का अंतर था.

Advertisement

विक्रम पुरस्कार देने पर अंतरिम रोक 

परमार के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से तर्क दिया कि याचिकाकर्ता पुरस्कार के लिए एक वैध उम्मीदवार है, जो याचिका के अंतिम समाधान तक किसी और को नहीं दिया जाना चाहिए. दलीलों के बाद, अदालत ने कहा, 'सुनवाई की अगली तारीख तक, प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे समारोह आयोजित न करें.'

'विक्रम पुरस्कार', राज्य का सबसे बड़ा खेल अलंकरण है जिसे 1972 से प्रदान किया जा रहा है. अलग-अलग खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 वरिष्ठ खिलाड़ियों को ‘विक्रम पुरस्कार' से नवाजा जाता है. ‘विक्रम पुरस्कार' से सम्मानित किए जाने वाले हर खिलाड़ी को दो लाख रुपये और स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके शासकीय सेवा में नियुक्ति भी दी जाती है.

ये भी पढ़ें: Ekta Success Story: कदम-कदम पर मिली चोट... फिर भी उठ खड़ी हुई मर्दानी, बाधाओं को पीछे छोड़ एकता ने लिखी सफलताओं की इंस्पायरिंग कहानी

Advertisement

ये भी पढ़ें: पन्ना की सुंदरता का अद्भुत प्रदर्शन ! .मध्य प्रदेश की शान 'प्यारो मध्यप्रदेश' गीत लॉन्च, जमकर हो रही सराहना

Topics mentioned in this article