MP Election 2023 : मनावर से माननीय बनने की लड़ाई हुई रोचक, डॉक्टर और इंजीनियर आए आमने-सामने

Madhya Pradesh Assembly Election: कन्नौज ने भोपाल के एक प्रतिष्ठित संस्थान से बी. टेक.की उपाधि हासिल की है. उनके पिता गोपाल कन्नौज भाजपा नेता थे, जिनकी 2021 के दौरान एक हादसे में मौत हो गई थी. पिता के निधन के बाद राजनीति में कदम रखने वाले शिवराम कन्नौज 2022 में धार की जिला पंचायत के सदस्य चुने गए थे.

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विधायक बनने के लिए होगा डॉक्टर और इंजीनियर के बीच मुकाबला

Madhya Pradesh Assembly News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar District) जिले की मनावर Manawar विधानसभा सीट पर बहुत ही रोचक मुकाबला होने जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से 27 वर्षीय इंजीनियर और जिला पंचायत सदस्य शिवराम कन्नौज को उम्मीदवार बनाए जाने से मुकाबला रोचक हो गया है. हालांकि, अपना टिकट कटने से नाराज पूर्व मंत्री रंजना बघेल के बागी तेवरों ने इस सीट पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

रोचक होगी ये भिडंत

आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित इस सीट पर कन्नौज की मुख्य भिड़ंत कांग्रेस के मौजूदा विधायक और जनजातीय संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा से है. 41 वर्षीय अलावा नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की सहायक प्रोफेसर की नौकरी छोड़ने के बाद 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी राजनीति में उतरे थे.

लड़ रहे हैं पहला चुनाव

कन्नौज ने भोपाल के एक प्रतिष्ठित संस्थान से बी. टेक.(इलेक्ट्रिकल्स) की उपाधि हासिल की है. उनके पिता गोपाल कन्नौज भाजपा नेता थे, जिनकी 2021 के दौरान आंधी-तूफान में एक हादसे में मौत हो गई थी. पिता के निधन के बाद राजनीति में कदम रखने वाले शिवराम कन्नौज 2022 में धार की जिला पंचायत के सदस्य चुने गए थे. अब वह अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

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वादा निभाने में रहे नाकाम

कन्नौज ने बुधवार को बताया कि मनावर क्षेत्र के कई आदिवासियों को रोजगार के लिए गुजरात और अन्य राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है. मैं आदिवासियों को सरकारी योजनाओं के तहत उद्यमिता और कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलाऊंगा, ताकि वे अपने गृह क्षेत्र में खुद के पैरों पर खड़े हो सकें. भाजपा उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक अलावा आदिवासियों को आजीविका मुहैया कराने और एक सीमेंट संयंत्र के लिए अधिग्रहित उनकी जमीनें वापस दिलाने का वादा निभाने में नाकाम रहे.

कन्नौज ने कहा कि वे एक बार चुनाव जीतने के बाद आदिवासियों के पास लौट कर नहीं गए. इससे लोग उनसे नाराज हैं. इस बार आदिवासी समुदाय उनके झांसे में नहीं आएगा. उधर, अलावा ने पलटवार कर कहा है कि सूबे की भाजपा की सरकार ने आदिवासियों, किसानों और बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं किया है. उन्होंने कहा कि यह सरकार कई पद आउटसोर्सिंग के जरिए भर रही है, जो मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर सीधा हमला है.

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आदिवासी वोट हैं निर्णायक

अलावा के मुताबिक वह इस बार मतदाताओं से मनावर को जिला बनवाने, क्षेत्र में बाईपास सड़क के निर्माण और शिक्षा के बेहतर केंद्र शुरू कराने के वादे कर रहे हैं. अलावा ने 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार और पूर्व मंत्री रंजना बघेल को 39,501 मतों से हराया था.

कन्नौज को खुद के खेमे से भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि टिकट कटने के बाद से बघेल बागी. तेवर दिखा रही हैं. राजनीति के जानकारों के मुताबिक अगर बघेल मनावर सीट पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरती हैं, तो भाजपा को बड़ा चुनावी नुकसान हो सकता है. मनावर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.43 लाख मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. 

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