Digital Arrest: 24 घंटे तक डर का साया... फोन उठाते ही शातिरों के ट्रैप में उलझीं नर्स, बेहद खौफनाक है कहानी

MP Digital Arrest:  देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला खंडवा में भी सामने आया है. खंडवा में एक जिला अस्पताल की एक नर्स को लगभग 24 घंटे तक साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके रखा.

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MP Digital Arrest:  देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला खंडवा में भी सामने आया है. खंडवा में एक जिला अस्पताल की एक नर्स को लगभग 24 घंटे तक साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके रखा. इन 24 घंटों में पीड़ित नर्स ना तो अपनी जगह से हिल पाई, ना ही किसी का फोन अटेंड कर पाई, ना ही उसे कुछ खाने पीने दिया गया. जब लगातार इतनी देर तक रूम का दरवाजा बंद रहा तो आसपास के लोगों को चिंता होने लगी. जब उन्होंने रूम का दरवाजा खटखटाया तो डर के मारे पीड़ित नर्स ने दरवाजा भी नहीं खोला. आखिर में एक पड़ोसी ने जब जबरन दरवाजा खुलवाया तो नर्स ठीक घबराहट देख पूरे मामला पता लगाया, तब जाकर पता चला कि पीड़ित नर्स को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके रखा है. इसके बाद पुलिस में शिकायत की गई. अब पुलिस पूरे मामले की तहकीकात कर रही है. 

अपराधियों ने खेला ऐसा खेल...

अगर आपको भी कोई व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर अनजान वीडियो कॉल कर रहा है तो, सावधान हो जाए! नहीं तो आप भी डिजिटल अरेस्ट के शिकार हो सकते हैं. क्योंकि जैसे-जैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ते जा रहा है वैसे-वैसे अपराध के नए तरीके भी ईजाद हो रहे हैं. पहले लोग चोरी डकैती करने के लिए घरों के ताले तोड़ते थे, लेकिन अब डिजिटल युग में डिजिटल तरीके से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है. खंडवा में एक सरकारी अस्पताल की नर्स के साथ साइबर अपराधियों ने एक घटना को अंजाम दिया, जिसमें सबसे पहले पीड़िता को कॉल कर कहा गया कि उसने एक कुरियर अपने आधार नंबर से बुक किया है जिसमें ड्रग्स है. साइबर अपराधियों ने आधार की डिटेल भी इतनी सही बताई कि जिस पर नर्स को भरोसा हो गया. उसके बाद शातिर अपराधियों ने डर का ऐसा खेल खेला कि 24 घंटे तक पीड़ित नर्स अपनी जगह से हिल भी नहीं पाई. यानी उसे डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया था. नर्स को पहले उन्होंने यह यकीन दिलाया कि उसी के आधार नंबर से कुरियर बुक हुआ है. उसके बाद इस तरह का माहौल क्रिएट किया गया कि वहीं उसे साइबर सेल से भी कनेक्ट करा दिया गया. साइबर सेल के बाद पुलिस डीएसपी से भी महिला की बात कराई गई. यह सब जब हो रहा था तो पीछे सभी लोग वर्दी में नजर आ रहे थे. माहौल ऐसा था जैसे किसी थाने में होता है.

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सहेली को भी धमकाया

जब साइबर अपराधी इस घटना को अंजाम दे रहे थे उस वक्त पीड़िता अपनी सहेली के घर पर थी. पीड़िता के कमरे पर सहेली को दिखाने के बाद शातिर बदमाशों ने उसे भी नहीं छोड़ा. उन्होंने पीड़िता को धमकाया कि इस अपराध में उसकी सहेली भी उसके साथ शामिल है. इतना ही नहीं सहेली की भी डिटेल लेकर उसे भी डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया. और उसे 50 हजार की ठगी भी कर ली गई. इधर पीड़िता को लगातार वह धमकाते रहे कि अगर उसने किसी को बताया या अपनी जगह से उठकर इधर-उधर गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस बीच शातिर बदमाशों ने उसके व्हाट्सएप पर अरेस्ट वारंट तक भेज दिया. इतना ही नहीं उन्होंने एक फर्जी ट्रैप रच कर यह जताने की कोशिश की कि वह एक बड़ी गैंग के साथ ड्रग्स डीलिंग में काम कर रही है. इस बीच साइबर बदमाशों ने पीड़ित नर्स को 24 घंटे तक कैमरे के सामने एक ही जगह पर बिठा कर रखा. यहां तक कि उसे धमकी दी गई कि पुलिस के अंडरकवर ऑफिसर उसके घर के आसपास ही मौजूद हैं. अगर कोई हरकत की तो वह उसे और उसके सहयोगियों को अरेस्ट कर लेंगे. डर के मारे पीड़ित नर्स मोबाइल कैमरे के सामने ही बैठी रही. 

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मोबाइल भी कर लिया था हैक 

डर के साए में अपने ही घर के कमरे में कैद नर्स से साइबर अपराधी लगातार बात करते रहे. उन्होंने उसके दिमाग को इस तरह से कर दिया कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था. साइबर अपराधियों ने मोबाइल भी हैक कर लिया, ना तो मोबाइल से किसी को कॉल लग पाया ना ही किसी का कॉल रिसीव हो पाया. 

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जब लगातार 24 घंटे रूम का दरवाजा नहीं खुला तो अस पड़ोस के लोगों ने भी यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर के दरवाजा बंद क्यों है. इधर परिवार वालों का भी फोन रिसीव नहीं हुआ तो, उन्हें भी चिंता होने लगी.  जब आस पड़ोस के लोगों को उन्होंने फोन किया.  तब एक पड़ोसी ने जाकर दरवाजा खटखटाया लेकिन डर के मारे पीड़ित नर्स ने दरवाजा नहीं खोला. जब दरवाजा तोड़ने की धमकी दी गई. तब कहीं जाकर दरवाजा खोला. फिर पूरा मामला सामने आया कि पीड़ित नर्स को डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया था. इसके बाद पीड़ित नर्स को लेकर पड़ोसी पुलिस के पास पहुंचे और साइबर अपराधियों की शिकायत दर्ज कराई. 

पुलिस ने की अपील

इधर शिकायत मिलने पर खंडवा पुलिस अधीक्षक मनोज राय ने भी तत्काल एक्शन लिया. उन्होंने साइबर की टीम को एक्टिव किया. तब जाकर पता चला कि उड़ीसा और हरियाणा से यह साइबर ठगी का खेल खेला जा रहा था. इस मामले में साइबर की टीम जल्द ही आरोपियों तक पहुंच जाएगी. पुलिस अधीक्षक मनोज राय ने पीड़ित नर्स को भी हिम्मत दी. 
खंडवा पुलिस अधीक्षक मनोज राय ने आम लोगों से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी पुलिस में कोई प्रक्रिया नहीं है.  अगर कोई आपको इस तरह से फ्रॉड कॉल करता है तो आप उस नंबर को तुरंत ब्लॉक कर दें, या इसकी जानकारी अपनी नजदीकी पुलिस थाने में दें. इसके अलावा नेशनल साइबर टीम के बताए नंबर पर कॉल कर मदद मांगे. 

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