काउंटिंग के दिन कब क्या होता है ? यहां जानें कैसे दिया जाता है कैंडिडेट को जीत का प्रमाण पत्र

MP By Election Result 2024 : मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के नतीजे के लिए शनिवार को मतगणना है. बता दें, 13 नवंबर को उपचुनाव को लेकर एमपी बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर वोटिंग हुई थी. लेकिन यहां हम आपको बता दें आखिर मतगणना होती कैसे है? वोटों की गिनती कौन करता है? मतगणना कक्ष के अंदर कौन-कौन जा सकता है? ऐसे बहुत से सवालों के जवाब के लिए पढ़ें ये खबर.

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काउंटिंग के दिन कब क्या होता है ? यहां जानें कैसे दिया जाता है कैंडिडेट को जीत का प्रमाण पत्र

MP By Election Result 2024 vote counting process : बीते 13 नवंबर को मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर वोटिंग हुई थी. वहीं, आज दिन शनिवार 23 नवंबर को मतगणना है. ऐसे में काउंटिंग के दिन कब क्या होता है. मतगणना से लेकर कैंडिडेट को जीत का प्रमाण पत्र देने तक क्या-क्या प्रक्रिया होती है. ये सब यहां जानेंगे. साथ ही आज बुधनी और विजयपुर सीट को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी. किस सीट पर कौन बाजी मार रहा है, कुछ ही देर में पता चलने लगेगा. सबुह आठ बजे से मतगणना शुरू होगी. वहीं, मतगणना के एक घंटे बाद शुरूआती रुझान आने लगेंगे.

सबसे पहले स्ट्रांग रूम का ताला खुलेगा

आज सबकी नजरें मतगणना स्थल पर रखी EVM मशीन से निकलने वाले चुनावी नतीजों पर हैं. लेकिन आपको बता दें मतगणना वाले दिन सबसे पहले सुबह करीब सात बजे स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है. इस दौरान सभी दलों के कैंडिडेट्स का मौजूद रहना जरूरी होता है. कैंडिडेट्स के साथ रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर टीम भी उपस्थित रहती है.इसके बाद स्ट्रांग रूम का ताला खुलते ही रूम की वीडियोग्राफी कराई जाती है.  

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जानें कैसे की जाती है, वोटों की गिनती

बता दें, मतगणना शुरू करने के लिए सबसे पहले ईवीएम की कंट्रोल यूनिट काउंटिंग वाली टेबल पर लाई जाती है.इसकी सुरक्षा तकनीकी रूप से की जाती है. इस दौरान कैमरा ऑन मोड पर रहते हैं. वीडियोग्राफी भी की जाती है. फिर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को दिखाते हुए हर एक कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान किया जाता है. इसके साथ जैसे ही कंट्रोल  यूनिट के बटन को क्लिक करते हैं, तो हर प्रत्यासी का वोट EVM में उसके नाम के आगे शो करने लगता है.

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इस बात को रखा जाता है सीक्रेट 

मतगणना के दौरान एक बात को बहुत ही सीक्रेट रखा जाता है, ये बात है कि कौन सा कौन सा कर्मचारी किस टेबल पर काउंटिंग करेगा? ये किसी को पता नहीं चलने दिया जाता है. वहीं, हर एक मतगणना केंद्र पर कुल 15 टेबल होती हैं, इनमें से 14 टेबल वोटों की गिनती के लिए होती है, जबकि एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है. 

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मतगणना कक्ष पर इनको बस मिलती है एंट्री

चुनावी नतीजों के आधिकारिक घोषणा के बाद यदि एजेंट का संदेह है, तो रिकाउंटिंग की मांग कर सकता है. जो लोग ड्यूटी पर तैनात होते हैं, वहीं मोबाइल मतगणना केंद्र के अंदर ले जा सकते हैं. 

आप के जहन में ये भी सवाल आ रहा होगा कि मतगणना के दिन कौन मतगणना कक्ष पर कौन प्रवेश कर सकता है, कौन नहीं. तो आपको बता दें, वोटिंग कक्ष में सिर्फ कैंडिडेट का एक एजेंट ही एंट्री कर सकता है. इसके अलावा मतगणना केंद्र के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी भी एंट्री कर सकते हैं.किसी भी हॉल में 15 से अधिक एजेंट नहीं होते हैं. इसके लिए कैंडिडेट अपने एजेंट का चयन खुद करता है.  एजेंट को जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर और आधार कार्ड शेयर करता है. खास बात ये है कि जब तक मतगणना पूरी नहीं हो जाती, तब तक एजेंट का बाहर जाने कि अनुमति नहीं मिलती.

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ऐसे दिया जाता है प्रमाण पत्र

 मतगणना केंद्र में मतों की गिनती के साथ-साथ शेष काजगी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सफल कैंडिडेट को निर्वाचन अधिकारी द्वारा चुनाव के लिए अधिकृत प्रपत्र में प्रमाण पत्र भर दिया जाता है.   

45 दिनों तक ईवीएम यहीं रखना पड़ता है

बता दें, मतगणना की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ईवीएम को दोबारा 45 दिनों तक स्ट्रांग रूम में रख दिया जाता है. इस दौरान ईवीएम पर विशेष नजर रखी जाती है. सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, कि यदि वोटों की गिनती पिर हो तो आधिकारिक तौर मतगणना की जा सके. इसके बाक EVM को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता है. 

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