MP News in Hindi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत सरोवर योजना शुरू की थी, ताकि गांवों में पानी का स्तर बढ़े और किसानों को फसलों के लिए पानी मिले... लेकिन अशोकनगर जिले में यह योजना अपनी असल उद्देश्य से भटक गई है. यहां करोड़ों की लागत से बने तालाब केवल कागजों में सिंचाई कर रहे हैं, जबकि असल में ये सूखे पड़े हैं. इसी कड़ी में NDTV की टीम ने अशोकनगर जिले के डोगरा पछार पंचायत का दौरा किया. यहां 43 लाख रुपये खर्च कर तीन तालाब बनाए गए थे. लेकिन इन तालाबों में न तो पानी है और न ही कोई काम हो रहा है. सभी तालाब पांच सौ मीटर के दायरे में बनाए गए हैं जिससे कोई फायदा नहीं हो रहा. नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया.
अधिकारियों ने क्या कहा- पढ़िए ?
जब इस बारे में RES विभाग के SDO चंदन सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि योजना अब बंद हो गई है और नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं. यह बयान चौंकाने वाला है क्योंकि करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी तालाब सूखे हैं. ये एक पंचायत की हालत है, जबकि जिले की अधिकांश पंचायतों में स्थिति और भी खराब है. जब उनसे तालाबों की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछा गया, तो उनका जवाब था, "हमें नहीं पता, सरपंच से जानकारी लो." जबकि इन्हें मालूम होना चाहिए कि सरपंच को प्रशासनिक बॉडी का हिस्सा नहीं हैं.
जिले में कितने अमृत सरोवर ?
अशोकनगर जिले में 146 अमृत सरोवर तालाब बनाए गए हैं. इनमें अशोकनगर जनपद के तहत 58, चंदेरी में 6, मुंगावली में 63 और ईसागढ़ में 19 तालाब शामिल हैं. प्रत्येक तालाब पर लगभग 14 लाख रुपये खर्च किए गए. इस हिसाब से तो 146 सरोवर का अंदाज़ा लगाया जाए तो ये आंकड़ा कुछ बीस करोड़ तक जाता है. लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि अधिकतर तालाब डोगरा पछार जैसे ही सूखे पड़े हैं. ग्रामीणों और किसानों को इन तालाबों से कोई लाभ नहीं मिल रहा. किसानों की फसलें पानी की कमी से खराब हो रही हैं, जबकि कागजों में इन तालाबों से सिंचाई हो रही है.
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जनपद CEO ने कहा है कि यदि तालाब सूखे हैं, तो जांच कराई जाएगी. अब देखना ये होगा कि इस खुलासे के बाद सरकार क्या कदम उठाती है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होती है या नहीं ?
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