मध्य प्रदेश में नौनिहाल कैसे बनेंगे बलवान, 8 से 12 रुपये में आंगनवाड़ी का पोषण और 980 में NRC इलाज!

Madhya Pradesh News: विधानसभा में महिला व बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने लिखित में बताया कि कुपोषण निवराण के लिये पोषण पुनर्वास केंद्रों में एक बच्चे पर 980 रुपये खर्च किया जाता है.

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MP Anganwadi Nutrition Scheme: मध्य प्रदेश में कुपोषण से लड़ने के लिए सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को 8 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन की दर से पूरक पोषण आहार और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को 12 रुपये में प्रति बच्चा प्रतिदिन खर्च कर रही है. इसकी भरपाई भारत सरकार करती है, महिला बाल विकास मंत्री ने बताया इसके लिए मध्य प्रदेश में महिला व बाल विकास विभाग द्वारा कोई प्रावधान नहीं है. अब आप खुद सोचिए कि 8 से 12 रुपये में मध्य प्रदेश में बच्चे बलवान कैसे बनेंगे?

विक्रांत भूरिया के सवाल के जवाब में बड़ा खुलासा

दरअसल, कांग्रेस विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया के सवाल के जवाब में यह खुलासा हुआ है. उन्होंने सरकार से पूछा था कि आदिवासी विकासखंडों में 2020 से 2025 तक कितने बच्चों को NRC में भर्ती किया गया और योजना में कितना खर्च आया, प्रति बच्चे खर्च की जानकारी भी मांगी थी.

एक बच्चे पर आंगनवाड़ी पोषण के लिए खर्च होते हैं 8 से 12 रुपये

विधानसभा में महिला व बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने लिखित में बताया कि कुपोषण निवराण के लिये पोषण पुनर्वास केंद्रों में एक बच्चे पर 980 रुपये खर्च किया जाता है.

विधानसभा में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश के आदिवासी विकासखंडों में साल 2020 से जून 2025 तक प्रदेशभर में कुल 85,330 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों (NRC) में भर्ती कर इलाज और पोषण दिया गया.

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आदिवासी विकासखण्डों में कितने बच्चों का पोषण पुनर्वास केंद्रों में हुआ इलाज-

2020-21- 11,566 बच्चों का इलाज हुआ 

2021-22- 12,527 बच्चों का इलाज हुआ 

2022-23- 16,522 बच्चों का इलाज हुआ 

2023-24- 18,046 बच्चों का इलाज हुआ 

2024-25- 20,741 बच्चों का इलाज हुआ 

2024-25 (केवल जून तक)- 5,928 बच्चों का इलाज हुआ 

कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आंगनवाड़ियों में सरकार बच्चों को पोषण के लिए मात्र 8 से 12 रुपये दे रही है, लेकिन यह राशि काफी नहीं है. इतने पैसे में दो केला तक नहीं मिल सकता है. दूध भी 70 रुपये लीटर तक मिल रहा है, जबकि मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चें हैं. मध्य प्रदेश सरकार बच्चों के पोषण पर खुद एक रुपये खर्च नहीं कर रही है. यह 8 से 12 रुपये भी केंद्र सरकार से लिए जा रहे हैं.

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