साहब मैं खुद आ गया हूं, अब तो मान लो मैं जिंदा हूं, जानें- क्या है ग्वालियर में जिंदों को मुर्दा बनाने का खेल

Madhya Pradesh News: लगातार नगर निगम की जनसुनवाई और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय पर ऐसे कई लोग पहुंच रहे हैं, जिनके मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए हैं. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच पड़ताल की जा रही है. संभवत: इसके पीछे कोई रैकेट कम कर रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Gwalior News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) शहर में दो दर्जन से अधिक सरकारी कागज में मरे हुए लोग नगर निगम ऑफिस और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में खुद के जिंदा होने का सबूत लेकर चक्कर काट रहे हैं. ऐसे में निगम अफसर हैरान-परेशान हैं, क्योंकि की इन सभी जीवित व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण पत्र का रिकॉर्ड उनके पास है. वहीं, सरकारी दस्तावेजों में मरे हुए जीवित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे मृत जीवित लोग CM हेल्पलाइन पर भी खुद को जीवित करने की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, इस मामले में EOW (आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो) भी जांच पड़ताल में जुटी है.

ग्वालियर नगर निगम दफ्तर  और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में हर दिन ऐसे लोग पहुंच रहे हैं, जिन्हें खुद के जीवित होने का प्रमाण देना पड़ रहा है, क्योंकि निगम के रिकॉर्ड में उनकी मृत्यु हो चुकी है. मामले की पड़ताल करते हुए NDTV उन जीवित मृतकों के घर पहुंची, जिनके मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम से जारी हो चुके हैं.

कागजों में मरते ही छिन गए  सारे हक अधिकार

इनमें से एक है ग्वालियर शहर के गोसपुरा नम्बर 1 में रहने वाली जीवित 80 साल की बुजुर्ग शांति बाई, जिन्हें सरकारी दस्तावेजों में 01 जुलाई 2025 को ही मृत घोषित कर दिया गया. जिसके चलते उन्हें वृद्धा पेंशन और PDS का राशन अब मिलना बंद हो गया है और उन्हें खुद की मौत होने की जानकारी समग्र ID की KYC कराने के दौरान मिली. अब उनकी समग्र ID पर पन्ना जिले के वार्ड नंबर 10 नगर पालिका क्षेत्र में रहने वाले बरसात खान नाम के व्यक्ति को दे दी गई है और बरसात के परिजन हजरा, इमाम, नाजिया, अमना,आयाम सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं. ऐसे में अब बुजुर्ग शांति बाई ने CM हेल्पलाइन पर खुद को जीवित करने की गुहार लगाई है.

लोगों को ऐसे पता चला कि वह मर चुके हैं

वहीं, ग्वालियर थाना क्षेत्र के खिड़की मोहल्ले में रहने वाले मजदूर अजय प्रजापति एक मोबाइल शॉप पर जब मोबाइल फाइनेंस कराने पहुंचे तो, उन्हें पता चला उनका आधार कार्ड बंद हो चुका है. जानकारी जुटाते हुए जब अजय नगर निगम के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय पहुंचे, तो उसे पता चला कि उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बन चुका है.यानी उनकी मौत हो चुकी है. यह सुनकर अजय घबरा गया और निगम की जनसुनवाई में खुद को जिंदा करने की गुहार लगाने पहुंचा. जहां उसे दस्तावेजों में जीवित करने का आश्वासन दिया गया. अजय ने बताया कि उसकी मृत्यु प्रमाण पत्र किसी ने फर्जी तरीके से बनवा दिया है, जिसके चलते सरकार की योजनाओं का लाभ उसे नहीं मिल पा रहा. वहीं, कुछ समय पहले उसने अपने आधार कार्ड, बैंक की पासबुक फोटो पर कुछ अन्य दस्तावेज सुरेश प्रजापति नाम के एक व्यक्ति को दिए थे. उसने सरकार की बीमा योजना का लाभ दिलाने की बात कही थी. हालांकि, अब सुरेश गायब है.

Advertisement

किसी रैकेट के काम करने की है आशंका

लगातार नगर निगम की जनसुनवाई और जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय पर ऐसे कई लोग पहुंच रहे हैं, जिनके मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए हैं. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच पड़ताल की जा रही है. संभवत: इसके पीछे कोई रैकेट कम कर रहा है.

यह भी पढ़ें- क्या BJP अध्यक्ष बनने की रेस में शिवराज सिंह? मोहन भागवत से मिलने के बाद बोले- मैं तो...

Advertisement

PM जीवन ज्योति योजना की रकम के लिए खेला जा रहा है खेल

गौरतलब है कि साल 2015 में PM जीवन ज्योति योजना की शुरुआत हुई थी, जिसमें बीमा धारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी को 2 लाख रुपये की सहायता मिलती है. चंबल संभाग में PM जीवन ज्योति योजना के तहत बीमा पॉलिसी में फर्जी तरीके से जीवित लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर लगभग 20 करोड़ रुपये का घोटाले का खुलासा हो चुका है. इस मामले में EOW (आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो) ने 14 लोगों के खिलाफ कर धारा 420, 467, 468 ,471, 120 B का मामला भी दर्ज कर चुके हैं. वहीं, माना जा रहा है कि यह घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो सकता है. 

यह भी पढ़ें- एमपी में OBC आरक्षण रोकने के लिए भाजपा ने खर्चे 100 करोड़ रुपये, कांग्रेस ने BJP पर लगाए गंभीर आरोप

Advertisement

Topics mentioned in this article