Mission Vatsalya: मध्य प्रदेश सरकार ने कमजोर और जरूरतमंद बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. मिशन वात्सल्य योजना के तहत अब ऐसे बच्चों को हर महीने 4,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी, जिससे उन्हें बिना संस्थान में भेजे शिक्षा, पोषण और देखभाल मिल सकेगी. सरकार का मानना है कि बच्चे परिवार के माहौल में ही बेहतर बढ़ते हैं और यह कदम उसी दिशा में एक मजबूत पहल है.
क्या है मिशन वात्सल्य योजना?
मिशन वात्सल्य केंद्र सरकार की वह योजना है जो अनाथालयों के बजाय परिवार-आधारित देखभाल को बढ़ावा देती है. इस योजना का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कमजोर बच्चे भी घर जैसे वातावरण में पले-बढ़ें और उन्हें शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाएं मिलती रहें.
हर बच्चे को मिलेगा 4,000 रुपये महीना
राज्य सरकार ने गैर-संस्थागत देखभाल में रहने वाले बच्चों को प्रति माह 4,000 रुपये देने की मंजूरी दी है. यह राशि उन बच्चों को दी जाएगी जो पालक देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल या विधवा, परित्यक्त, तलाकशुदा या गंभीर रोग से जूझ रहे माता-पिता के साथ रह रहे हैं. इसका उद्देश्य परिवारों का आर्थिक बोझ कम करना और बच्चों को सुरक्षित माहौल देना है.
कितने बच्चों को मिलेगा फायदा?
सरकार ने ऐसे 33,346 बच्चों की पहचान की है. इन सभी को हर महीने यह आर्थिक मदद दी जाएगी. 4,000 रुपये की इस राशि में 60% हिस्सा केंद्र सरकार देगी, जबकि बाकी 40% राज्य सरकार वहन करेगी. इसके लिए कैबिनेट ने लगभग 1,022 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है.
किन-किन बच्चों के लिए है यह सहायता?
4,000 रुपये की यह मदद तीन तरह की कैटेगरी के बच्चों को दी जाएगी...
- स्पॉन्सरशिप: ऐसे बच्चे जो अपने विस्तारित परिवार के साथ रहते हैं.
- फॉस्टर केयर: बच्चे जिन्हें असंबंधित परिवार देखभाल के लिए अपनाते हैं.
- आफ्टर केयर: वे बच्चे जो संस्था से बाहर आने के बाद आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.
सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला का कहना है कि यह पहल “किसी भी बच्चे को पीछे न छोड़ने” की सोच पर आधारित है. उनका कहना है कि इस आर्थिक मदद से परिवार अपने बच्चों की बेहतर परवरिश कर पाएंगे, जिससे शोषण और दुर्व्यवहार जैसी घटनाओं पर भी रोक लगेगी.
ये भी पढ़ें- Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर MP में साइबर एजेंसियों का बड़ा एक्शन; यहां कर सकते हैं शिकायत
किन राज्यों के लिए है यह योजना ज्यादा मददगार?
देश के कई राज्यों में कमजोर बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में केंद्र का योगदान राज्यों का आर्थिक भार कम कर देता है. इससे सरकारें अधिक बच्चों तक यह सुविधा पहुंचा पाती हैं और दीर्घकालिक रूप से समाज में बेहतर बदलाव देखने को मिल सकता है.
कैसे होंगे बच्चे चयनित?
इस योजना की सफलता का सबसे बड़ा आधार सही बच्चों की पहचान है. इसके लिए बाल कल्याण समितियों और जिला बाल संरक्षण इकाइयों को जिम्मेदारी दी गई है. आवेदन स्थानीय स्तर पर स्वीकार किए जाते हैं और मंजूर होने पर रकम सीधे परिवार या देखभालकर्ता के खाते में भेजी जाती है.
ये भी पढ़ें- 'हिड़मा के आतंक का अंत, बस्तर में लौट रहा शांति का वसंत'; सुरक्षाबलों की सफलता पर सीएम साय ने दी बधाई