MGNREGA: मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार, मनरेगा में हो रहा मशीनों का उपयोग

MGNREGA Scam: छतरपुर जिले में मनरेगा योजना में धड़ल्ले से जेसीबी का उपयोग किया जा रहा है. इसमें मजदूरों को रोजगार न देकर जेसीबी की मदद से तालाब की खुदाई की जा रही है.

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मनरेगा में मजदूरों की जगह काम कर रहे मशीन

MGNREGA Scam in MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) जिला के जनपद राजनगर राजनगर में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से कार्य हो रहे हैं. इस योजना के तहत ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाले गरीब लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना ही इसका उद्देश्य है. लेकिन, जनपद पंचायत राजनगर क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुटिया में लाखों की लागत से बन रहे तालाब के निर्माण कार्य में मजदूरों का उपयोग न करते हुए खुलेआम जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर जैसे संसाधनों का उपयोग किया जा रहा हैं.

मजदूर बैठे हैं बेरोजगार

मनरेगा योजना में काम रहने के बाबजूद कुटिया ग्राम पंचायत में गरीब मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि पंचायत ही नहीं, पूरे प्रखंड में मजदूरों का पलायन निरंतर हो रहा है. जबकि, केंद्र सरकार ने मजदूरों की पलायन रोकने और एक वर्ष में 100 दिन रोजगार मुहैया करने को लेकर मनरेगा कानून बनाया था. लेकिन, इस कानून को खुद पंचायत प्रतिनिधि और मनरेगा योजना सचिव सेवक लगे हुए हैं.

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1500 से अधिक खेत तालाबों का होना है निर्माण

छतरपुर जिले में हर ग्राम पंचायत में तीन खेत तालाब बनाए जा रहे हैं. इस प्रकार लगभग 1500 से अधिक तालाब बनाए जा रहे हैं और जो ग्राम पंचायत में काम कर रहे हैं, वह अधिकतर मशीनों से काम हो रहे हैं. गांव के लोग को रोजगार नहीं मिल रहा है. इस वजह से वह पलायन कर रहे हैं.

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ग्राम पंचायत करी के भग्गू कुशवाहा ने बताया कि मुझे गांव में काम नहीं मिला, इस वजह से मैं जम्मू-कश्मीर काम करने के लिए मजबूरी में जाता हूं. एक तो केंद्र सरकार की मजदूरी इतनी कम है, दूसरा ग्राम पंचायत में सरपंच ठेके पर काम देते हैं.

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आदिवासी मजदूरों को भी परेशानी

छतरपुर जिले में आतानिया ग्राम पंचायत की आदिवासी माना बाई महिला सरपंच है. उनका कहना था, 'हम पहले बहुत अच्छा काम लेते थे, क्योंकि दिल्ली कमाने के लिए जाते थे. लेकिन, जब से सरपंच बने हैं, तब से हमारे घर पर खाने के लिए हम परेशान हो रहे हैं. थारा ग्राम पंचायत के राम भरोसे आदिवासी का कहना है, 'मुझे तो पता ही नहीं है कि मैं ग्राम पंचायत का सरपंच हूं. क्योंकि मैं अपने खेत पर ही रहता हूं और बकरी चराता हूं और खेती करता हूं.' इसी प्रकार, जनपद पंचायत राजनगर की ग्राम पंचायत टिकरी में भी आदिवासी सरपंच है और यहां भी यही हाल है. छतरपुर जिले में कई ग्राम पंचायतें ठेके पर चल रही है.

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मजदूरों की जगह मशीन से काम

छतरपुर जिले में मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार न देकर मशीनों से काम लिया जा रहा है. यहां एक तालाब की खुदाई के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर का इस्तेमाल हो रहा है. इसको लेकर ग्रामीण और इलाके के गरीब मजदूर परेशान हैं. उनका कहना है कि ठेकेदार उनके रोजगार को मार रहा है.

जिला पंचायत सीईओ ने कही ये बात

पूरे मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ तपस्या सिंह ने कहा, 'मेरे पास सूचना आई थी. मैंने राजनगर जनपद सीईओ को लिखकर मौके पर जाकर सब इंजीनियर से रिपोर्ट मांगी है.'

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