मन की बात का 124वां एपिसोड: PM मोदी ने ग्वालियर और चंदेरी किला का किया जिक्र, बोले-ये ईंट-पत्थर नहीं, हमारी...

Mann Ki Baat 124th episode: पीएम मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के 124वें एपिसोड को संबोधित किया. इस मौके पर PM मोदी ने ग्वालियर और चंदेरी किले का जिक्र किया.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Mann Ki Baat 124th episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार, 27 जुलाई को मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के 124वें एपिसोड को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने 12 मराठा किलों के साथ-साथ ग्वालियर और चंदेरी किले का भी जिक्र किया.

ये किले अद्भुत हैं, जिन्होंने आत्मसम्मान को कभी झुकने नहीं दिया- PM

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूनेस्कों ने 12 किलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की मान्यता दी है. ये सभी किले ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े हैं. देश के और हिस्सों में भी ऐसे ही अद्भुत किले हैं, जिन्होंने आत्मसम्मान को कभी भी झुकने नहीं दिया. 

पीएम ने कहा, 'ये किले सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं. पीएम ने आगे कहा कि मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि इन किलों की यात्रा करें, अपने इतिहास को जानें. हर किले से इतिहास का एक-एक पन्ना जुड़ा है. हर पत्थर, एक ऐतिहासिक घटना का गवाह है.

उन्होंने कहा, 'देश के किले आक्रमणों और मौसम की मार झेलकर भी अडिग रहे. राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, आमेर और जैसलमेर किले विश्व प्रसिद्ध हैं. कर्नाटक का गुलबर्गा और चित्रदुर्ग किला भी अपनी विशालता से आश्चर्यचकित करते हैं. ये देखकर मन में सवाल उठता है कि उस दौर में इतने भव्य किले कैसे बने होंगे?'  यूपी के बांदा में स्थित कालिंजर किले जिस पर महमूद गजनवी ने कई बार आक्रमण किए, लेकिन हर बार असफल रहा. उन्होंने बुंदेलखंड के ग्वालियर, झांसी, दतिया, अजयगढ़, गढ़कुंडार और चंदेरी किलों की भी चर्चा की.

प्रतापगढ़ किला, जहां शिवाजी महाराज ने अफजल खान को हराया, आज भी उनकी वीरता की गूंज सुनाई देती है. विजयदुर्ग किला, जिसमें गुप्त सुरंगें थीं, उनकी दूरदर्शिता का प्रतीक है. 'सल्हेर का किला, जहां मुगलों की हार हुई. शिवनेरी, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ. किला ऐसा जिसे दुश्मन भेद न सके. खानदेरी का किला, समुद्र के बीच बना अद्भुत किला. दुश्मन उन्हें रोकना चाहते थे, लेकिन शिवाजी महाराज ने असंभव को संभव करके दिखा दिया.'

Advertisement

देश के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है ग्वालियर का किला 

मध्य प्रदेश में मौजूद ग्वालियर किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. ये किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है. इसका निर्माण लाल बलुए पत्थर किया गया है. इस किले का भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इतिहासकारों के मुताबिक, ग्वालियर किले (Gwalior Fort) का निर्माण सन 727 ईस्वी में सूर्यसेन (Suryasen) नामक एक स्थानीय सरदार ने करवाया था. वहीं किले की स्थापना के बाद करीब 989 सालों तक इसपर पाल वंश ने राज किया. इसके बाद कई राजपूत राजाओं ने राज किया.

फिर प्रतिहार वंश, कुतुबुद्दीन ऐबक, गुलाम वंश के संस्थापक इल्तुतमिश, तोमर वंश का इस किले पर राज रहा. वहीं बाबर ने भी इसको कब्जे में लिया. वहीं मुगल वंश के बाद इसपर राणा और जाटों का कब्जा हो गया. फिर मराठों ने अपनी पताका इस किले पर फहराई थी. 1779 में सिंधिया कुल के मराठा छत्रप ने इसे जीत लिया और किले में सेना तैनात कर दी. हालांकि कुछ समय बाद इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने छीन लिया. 

Advertisement

जनवरी 1844 में महाराजपुर की लड़ाई के बाद ये किला सिंधिया के कब्जे में आ गया, लेकिन 1 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई ने मराठा विद्रोहियों के साथ मिलकर ग्वालियर के किले पर कब्जा कर लिया. हालांकि एक दिन बाद लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई गई, जिसके बाद अग्रेजों ने इस किले पर कब्जा कर लिया. 

चंदेरी किले की खासियत

चंदेरी किले का निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रतिहार राजा कीर्तिपाल द्वारा करवाया गया था. इसका निर्माण स्थानीय बलुआ पत्थर से किया गया था. प्राचीन समय में इस किले की इस क्षेत्र से गुजरने वाले व्यापार मार्गों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बता दें कि इस किले में आज भी प्रभावशाली युद्ध-प्राचीरें, जटिल नक्काशी प्रहरीदुर्ग मौजूद है. 

Advertisement

ये भी पढ़े: Haridwar Stampede: हरिद्वार के मनसा मंदिर में भगदड़, 6 लोगों की मौत, कई घायल

Topics mentioned in this article