छिंदवाड़ा जिला जेल में पांढुर्ना तहसील के तिगांव गांव निवासी भावराव उइके की मौत ने पुलिस और आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मृतक के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भावराव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने मारपीट की है, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई. उईके की मौत के बाद गांव में तनाव की स्थिति भी हो गई है.
परिजनों के अनुसार, भावराव उइके को पुलिस ने 3 जून को आबकारी एक्ट की धारा 34(2) में गिरफ्तार किया था. सोमवार सुबह 9 बजे परिजनों को फोन आया कि भावराव को अचानक हार्टअटैक आया है. जब तक परिजन कुछ समझ पाते तब तक उन्हें मौत की सूचना दे दी गई.
परिजनों ने की ये मांग
मृतक की बॉडी छिंदवाड़ा जिला अस्पताल लाई गई है, जहां पोस्टमॉर्टम किया किया. मृतक के परिजनों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और अगर हिरासत में मारपीट की वजह से मौत हुई है तो संबंधित पुलिस कर्मियों और जिम्मेदार अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए.
रोड पर शव रखकर विरोध-प्रदर्शन
उईके की मौत के बाद पांढुर्णा के तिगांव में तनाव की स्थिति बन गई. मृतक के परिजनों ने तिगांव दुकान के सामने शव रखकर विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए. मृतक की पत्नी शर्मिला उईके ने आरोप लगाया कि पांढुर्णा पुलिस ने उनके पति को जबरन मामला दर्ज कर छिंदवाड़ा जेल भेज दिया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने थाने में भाऊराव के साथ मारपीट की थी.
घटना की जानकारी मिलते ही एसपी सुंदर सिंह कनेश सहित भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा. एसडीओपी बृजेश भार्गव और थाना प्रभारी अजय मरकाम ने मामले की जांच का आश्वासन दिया. इसके बाद परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए.
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जेल अधीक्षक ने क्या कहा
छिंदवाड़ा जेल अधीक्षक प्रतीक जैन ने बताया कि आरोपी 4 जून को जेल में दाखिल हुआ था. आज सुबह जब लॉकअप खोला गया तो वो बेचैन नजर आया, उसको पसीना आ रहा था. इसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी इलाज के समय मौत हो गई.
मारपीट के मामले में जेल अधीक्षक ने कहा कि जब आरोपी लाया गया था तब ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आई और इस मामले की न्यायिक जांच कराई जाएगी.