Principal Suspended : मध्य प्रदेश के मैहर जिले के रामनगर स्थित पीएमश्री शासकीय उच्च माध्यमिक कन्या विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं के साथ मारपीट के गंभीर मामले में कमिश्नर रीवा ने निलंबन की कार्रवाई की. लेकिन 52 किमी दूर स्थित सतना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय तक पहुंचने में लगभग 26 दिन का वक्त लगा. यह कार्रवाई कलेक्टर जिला मैहर द्वारा प्रतिवेदित प्रकरण के आधार पर की गई है. उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं प्रभारी प्राचार्य संतोष कुमार पटेल को निलंबित करने का आदेश 17 नवम्बर को जारी हुआ,लेकिन तामीली 13 दिसम्बर को की गई.
क्या था प्रकरण
प्रकरण के अनुसार 13 अक्टूबर 2025 को NDTV में ये खबर प्रसारित हुई कि पटेल द्वारा विद्यालय की छात्राओं के साथ मारपीट की गई, जिससे कुछ छात्राएं बेहोश हो गईं. शिकायतों के बाद जिला शिक्षा अधिकारी मैहर द्वारा तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर जांच कराई गई. जांच प्रतिवेदन में सामने आया कि सूचना दिए जाने के बावजूद 14 अक्टूबर को पटेल विद्यालय में उपस्थित नहीं हुए और बिना सक्षम अनुमति के मुख्यालय से बाहर रहे.
दर्ज हुई थी एफआईआर
जांच के दौरान विद्यालय में उपस्थित छात्राओं ने लिखित और मौखिक रूप से बताया कि मध्यावकाश के बाद मारपीट की घटना हुई. इस मामले में छात्रा निराला सिंह परस्ते द्वारा थाना रामनगर में एफआईआर दर्ज कराई गई है. एफआईआर में पटेल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2), किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 तथा अनुसूचित जाति/जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(व्हीए) एवं 3(1)(द) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है.
बच्चों से मारपीट पर है रोक
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि विद्यालयों में बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न पूर्णतः प्रतिबंधित है. इसके बावजूद इस तरह का कृत्य म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन है और इसे गंभीर कदाचरण की श्रेणी में रखा गया है. इसी आधार पर म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 09(1)(क) के तहत निलंबन की कार्रवाई की गई है. निलंबन अवधि में पटेल का मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मैहर नियत किया गया है.
किस ने की छुपाने की कोशिश
हालांकि इस पूरे प्रकरण में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि निलंबन से संबंधित आदेश 17 नवंबर को जारी हुआ, लेकिन उसकी तामीली 13 दिसंबर को हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कमिश्नर कार्यालय में इस गंभीर मामले को दबाकर रखा गया या फिर डीईओ कार्यालय में कमिश्नर के आदेश पर ही कुंडली मारकर बैठा रहा गया? आदेश की तामीली में हुई इस देरी ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है.