Madhya Pradesh Free Cycle Distribution Scheme: शिक्षा सत्र 2024-25 समाप्त होने में महज कुछ दिन ही बचे हैं, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग अभी तक बच्चों को साइकिलें (Free Cycle Yojana) नहीं बांट पाया है. स्थिति यह है कि माध्यमिक स्तर के तमाम स्कूली बच्चे कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंच रहे हैं. जिससे न सिर्फ उन्हें थकान का सामना करना पड़ रहा है बल्कि उनकी पढ़ाई का समय भी बर्बाद हो रहा है. वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अफसरों को इस बात की कोई चिंता नहीं है.
क्या है योजना? Free Cycle Distribution Scheme MP
जिन गांव के बच्चों को दूसरे गांव के स्कूल में जाना होता है, उन बच्चों की पढ़ाई न रुके इसके लिए प्रदेश सरकार कक्षा छठवीं और नौवीं में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क साइकिलें प्रदान करती है. इसके लिए शर्त यह रहती है कि जिस बच्चे को जिस कक्षा में साइकिल दी जा रही है उस कक्षा का सरकारी स्कूल गांव में नहीं होना चाहिए.
वहीं कक्षा नौवीं में करीब चार हजार छात्रों को योजना के तहत पात्रता थी, जिसका वितरण किया जा चुका है. सत्र समाप्त होने में गिने-चुने दिन ही बचे हैं, लेकिन इस बार देरी होने से यह बच्चे प्रतिदिन गांव से बाहर कई किलोमीटर का पैदल सफर करके स्कूल पहुंच रहे हैं.
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बार-बार बदल रही पॉलिसी
हर साल सरकार साइकिल की पॉलिसी बदल रही है. इस बार स्कूली बच्चों को साइकिल खरीदकर बांटी जा रही है. इसके लिए सरकार ने कंपनी से कांट्रैक्ट किया है. इस कंपनी के लोग प्रत्येक जिला और ब्लॉक स्तर पर साइकिलें तैयार कर रहे हैं. जिले में करीब साढ़े चार हजार से अधिक साइकिल बांटी जानी थी. इसके लिए जिला मुख्यालय के अलावा अन्य जगहों पर केन्द्र बनाया गया है. इससे पहले नकद राशि बच्चों को दी गई थी.
फैक्ट फाइल
ब्लॉक | लक्ष्य | वितरण |
अमरपाटन | 380 | 380 |
मैहर | 816 | 816 |
मझगवां | 643 | 643 |
नागौद | 364 | 364 |
रामपुर बाघेलान | 464 | 000 |
सोहावल | 481 | 481 |
उचेहरा | 663 | 663 |
रामनगर | 534 | 250 |
धूल खा रहीं साइकिलें
कक्षा छठवीं और नौवीं के छात्र छात्राओं को साइकिलें दिए जाने से पहले लघु उद्योग निगम उनकी गुणवत्ता जांचेगा, लेकिन इससे पहले कंपनी साइकिलों को तैयार करने में ही देरी लगा रही है. मार्च महीने का अंत चल रहा है, जबकि अभी तक कंपनी पूरी साइकिलें तैयार नहीं कर सकी. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी साइकिलों के हैंडओवर लेने का इंतजार कर रहे है. अधिकारियों का कहना है कि जब साइकिलें उनके हैंडओवर आए तब वे उनके वितरण की प्रक्रिया शुरू कर पाएं. बच्चे पैदल स्कूल जाने को मजबूर हैं.
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