MP News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को विधानसभा के समिति कक्ष में आयोजित बैठक में बड़ा ऐलान किया कि वर्ष 2026 को कृषि वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कृषि का क्षेत्र गरीब वर्ग और किसानों को लाभ पहुंचाने वाला प्रमुख क्षेत्र है. कृषि से संबद्ध गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को रोजगार और स्वावलंबन के कई अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं. इसी उद्देश्य से वर्ष 2026 को कृषि वर्ष घोषित किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विविध भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए कृषि में नवाचार की बड़ी संभावनाएं हैं. धान की खेती को प्राथमिकता देने के साथ गेहूं, चना, दलहन, तिलहन, हॉर्टीकल्चर आदि के क्षेत्रों में नवाचारों से किसानों को अवगत कराने के लिए उन्हें विभिन्न देशों का भ्रमण भी कराया जाएगा.
उन्होंने बताया कि कृषि वर्ष 2026 को ‘समृद्ध किसान–समृद्ध प्रदेश' टैगलाइन के साथ मनाया जाएगा. लक्ष्य किसानों की आय को दोगुने से आगे ले जाकर कृषि को लाभकारी, टिकाऊ और तकनीक-प्रेरित रोजगार मॉडल में बदलना है. आत्मनिर्भर किसान, उन्नत खेती, बाजार से बेहतर जुड़ाव और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर रहेगा.
कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य एवं वानिकी जैसे संबद्ध क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए जिला-आधारित क्लस्टर विकास मॉडल लागू किया जाएगा. प्राकृतिक खेती, डिजिटल सेवाओं, प्रसंस्करण और निर्यात उन्मुख कृषि के माध्यम से किसानों की शुद्ध आय बढ़ाने पर बल दिया जाएगा. ग्रामीण युवाओं के लिए ड्रोन सेवा, एफपीओ प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण, हाइड्रोपोनिक्स आदि में रोजगार अवसर तैयार किए जाएंगे.
प्राकृतिक खेती हर गांव तक पहुंचे-CM
बैठक में कृषि वर्ष का मासिक कैलेंडर तैयार किया गया. इसमें राज्य से लेकर जिला स्तर तक किसानों की सहभागिता के साथ महोत्सव और मेले शामिल होंगे. उन्नत किसानों और गैर-सरकारी संगठनों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा. कृषि वर्ष में प्राकृतिक खेती को गांव-गांव तक पहुंचाने, आर्गेनिक उत्पादों को बेहतर बाजार दिलाने, कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण, मृदा संरक्षण, उद्यानिकी, डेयरी और मत्स्य पालन में नवाचार पर विशेष फोकस रहेगा.
इन पर रहेगा जोर
राज्य स्तरीय एग्रो विजन कार्यक्रम, मृदा स्वास्थ्य परीक्षण, आधुनिक तकनीक, प्राकृतिक खेती और उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर व्यापक गतिविधियां होंगी. साथ ही मोटे अनाज, गोपालन, दुग्ध उत्पादन, मखाना, मशरूम, मधुमक्खी पालन, धान, आम, सोयाबीन, कृषि उपज निर्यात, कपास, मिर्च, मत्स्य पालन, कृषक उत्पादक संगठन (FPO), पराली प्रबंधन और उद्यानिकी फसलों पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.