Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के रीवा सेंट्रल जेल के दरवाजे आज एक शव के लिए खुले, क्योंकि पिता व चाचा जेल में बंद थे और उनके बेटे विशाल की करंट लगने से मौत हो गई थी. परिजनों के लाख प्रयासों के बावजूद पिता और चाचा को पैरोल पर जेल से रिहाई नहीं मिली. विशाल के पिता और चाचा को धारा 304 पार्ट बी के तहत 7 साल की सजा हुई है. यह सजा उन्हें दहेज प्रकरण के मामले में हुई मौत को लेकर दी गई थी.
दरअसल, सतना जिला प्रशासन से विशाल के पिता और चाचा की पैरोल पर रिहाई के आदेश समय पर नहीं पहुंच पाए थे, जिससे उन्हें जेल से पैरोल पर रिहाई नहीं मिल सकी. अंतिम संस्कार से पहले वे बेटे का चेहरा देखना चाहते थे. उनकी यह इच्छा पूरी करने के लिए जेल में शव लाया गया.
मृतक का चचेरा भाई संदीप सोंधिया ने बताया कि बीते दिनों सतना जिले के कोलगवां थाना अंतर्गत विशाल की करंट लगने से मौत हो गई थी. विशाल के चाचा और पिता, ब्रजकिशोर सोंधिया, 304 पार्ट बी में 7 साल की सजा रीवा सेंट्रल जेल में काट रहे हैं.
परिजनों ने पिता और चाचा की रिहाई के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सतना जिला प्रशासन से प्रतिवेदन समय पर न आने की वजह से रीवा सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंट ने, नियम कानून के तहत, उन्हें जेल से रिहा करने से मना कर दिया.
जेल से रिहाई का आदेश जिला प्रशासन द्वारा पैरोल पर दिया जाता है, न कि सेंट्रल जेल से, जिसके कारण ब्रजकिशोर और उनके भाई की रिहाई संभव नहीं हो पाई. तब परिजनों ने विशाल का अंतिम संस्कार करने से पहले उसे रीवा जेल में लाना मुनासिब समझा.
रीवा जेल सुपरिंटेंडेंट एस. के. उपाध्यक्ष ने बताया कि रीवा सेंट्रल जेल में विशाल के पिता और चाचा को जेल प्रशासन की मदद से विशाल का चेहरा दिखाया गया. इसके बाद परिजन शव लेकर सतना की ओर रवाना हुए, जहां वे बेटे विशाल का अंतिम संस्कार करेंगे. पूरे मामले पर रीवा जेल सुपरिंटेंडेंट एस. के. उपाध्यक्ष और ब्रजकिशोर सोंधिया के भतीजे संदीप सोंधिया से बातचीत की गई.