मध्य प्रदेश में बढ़ रहा एड्स का खतरा! काउंसलर ने बताया चौंकाने वाला कारण, NDTV की टीम ने की पड़ताल

मध्य प्रदेश में HIV cases India बढ़ने के पीछे चौंकाने वाली वजहें सामने आई हैं. NDTV की पड़ताल में काउंसलर ने बताया कि needle sharing risks और tattoo infection risk जैसे कारणों से एड्स का खतरा बढ़ रहा है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिलाओं का HIV testing in pregnancy अनिवार्य रूप से किया जा रहा है.

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HIV Cases Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में एड्स (HIV Virus) का खतरा अब पहले से कहीं ज्यादा गंभीर होता दिख रहा है. NDTV की टीम जब इसकी असल वजहों की पड़ताल के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज पहुंची, तो यहां एड्स काउंसलर ने जो बातें बताईं, वे हैरान करने वाली थीं. कई ऐसी लापरवाहियां हैं जो आम लोगों की नजर से छूट जाती हैं, लेकिन यही वो कारण हैं जिनसे संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.

एड्स मरीज बढ़ रहे हैं, लेकिन मौतें घटीं 

महाकौशल क्षेत्र के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में एड्स काउंसलर डॉ. अनुराधा अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि समय पर उपचार मिलने की वजह से मृत्यु दर में पहले की तुलना में काफी कमी आई है. उनकी मानें तो लोग इलाज के लिए पहले की तरह डरते नहीं, बल्कि समय रहते अस्पताल पहुंचते हैं.

काउंसलर ने बताए सबसे बड़े खतरे

डॉ. अग्रवाल ने खुलासा किया कि नशे की लत में लोग अक्सर एक ही सुई को बार-बार इस्तेमाल कर लेते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है. वहीं, टैटू स्टूडियो में दौबारा उपयोग की जाने वाली नीडल भी बड़ी चिंता का कारण हैं. उन्होंने बताया कि हालांकि जबलपुर में टैटू से एड्स फैलने पर कोई खास रिसर्च नहीं हुई है, लेकिन इसके खतरे की संभावना बिल्कुल साफ दिखती है.

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गर्भवती महिलाओं की जांच से बड़ा फायदा

जबलपुर मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिलाओं का एचआईवी टेस्ट अनिवार्य रूप से किया जाता है. अगर किसी महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उसके पति की भी जांच करवाई जाती है. डॉक्टरों की टीम गर्भावस्था के पहले दिन से ही मां और गर्भ में पल रहे शिशु की विशेष निगरानी करती है, ताकि जन्म के समय बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके.

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विशेषज्ञ बोले- समय पर जांच और जागरूकता जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एड्स को फैलने से रोकना मुश्किल नहीं है, बस लोगों को समय पर जांच करवानी होगी और सुरक्षित व्यवहार अपनाना होगा. उनका कहना है कि जागरूकता बढ़ाने से संक्रमण की रफ्तार पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है और कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है.

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महाकौशल में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामले

महाकौशल क्षेत्र में एचआईवी संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार यहां कुल 12,120 एचआईवी संक्रमित दर्ज किए गए हैं. इनमें 7,113 पुरुष, 4,251 महिलाएं, 431 बच्चे और 285 बच्चियां शामिल हैं. यह बढ़ती संख्या स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है.

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जबलपुर जिले में स्थिति और गंभीर

जबलपुर जिले के आंकड़े और भी गंभीर तस्वीर पेश करते हैं. जिले में कुल 4,843 एचआईवी संक्रमित लोग रह रहे हैं, जिनमें 3,003 पुरुष, 1,500 महिलाएँ और 206 बच्चे शामिल हैं. वर्ष 2024 में जहां संक्रमितों की संख्या 380 थी, वहीं वर्ष 2025 में यह बढ़कर 433 हो गई. यानी इस साल 53 नए मरीज सामने आए हैं, जो दर्शाता है कि जिले में एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है.

चिकित्सा अधिकारी ने बताई स्थिति और सुधार के प्रयास

एनडीटीवी की टीम से चर्चा में एचआईवी विभाग की चिकित्सा अधिकारी डॉ. वाणी अहलूवालिया ने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में मरीजों की संख्या में स्पष्ट बढ़ोतरी हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जागरूकता बढ़ने, समय पर दवाइयां मिलने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से काउंसलिंग उपलब्ध होने से कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इसके साथ ही सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं की नियमित स्क्रीनिंग भी की जा रही है, ताकि उनमें एचआईवी संक्रमण की गंभीरता को बढ़ने से रोका जा सके.

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संक्रमण बढ़ने के प्रमुख कारण

डॉ. अहलूवालिया के अनुसार, एचआईवी संक्रमण बढ़ने के पीछे कई बड़े कारण जिम्मेदार हैं. इनमें पुरुषों का रोजगार की तलाश में लंबे समय तक घर से बाहर रहना, ट्रक या अन्य वाहनों के चालक के रूप में लगातार लंबी यात्राएं करना, नशे का सेवन, और टैटू स्टूडियो में संक्रमित सुई से टैटू बनवाना प्रमुख कारण हैं. ये असुरक्षित आदतें संक्रमण फैलने की आशंका को काफी बढ़ा देती हैं.

कुछ क्षेत्रों में दिख रही राहत

जहां एक ओर आंकड़े चिंता बढ़ाते हैं, वहीं कुछ स्थानों पर सुधार भी देखने को मिला है. जबलपुर सेंट्रल जेल में एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी दर्ज की गई है. इसके अलावा बच्चों में भी संक्रमण के मामलों में गिरावट आई है, जो स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम माना जा रहा है.