Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश सरकार का राजस्व महा अभियान खत्म हो चुका है. अभियान में बैतूल, शहडोल और झाबुआ जैसे छोटे जिलो ने प्रकरण के निपटारे में बाजी मार ली है. हालांकि, इस मामले में बड़े जिले भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर फिसड्डी साबित हुए हैं, जिसकी वजह से लाखों किसानों की समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है.
दिपड़ी के रहने वाले रामशंकर सिंह भोपाल के 12 दफ्तर पहुंचे. वह महीनों से नामांतरण और बंटवारे की कागजी कार्रवाई कराने के लिए परेशान हैं. वह रोजाना अपने दस्तावेजों से भरा झोला लेकर तहसील कार्यालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है. खजूरी कलां के उमाकांत कैमरा देखकर थोड़ा घबरा गए. हालांकि, इसके बाद उन्होंने बताया कि जमीन से जुड़े दस्तावेजों का काम कराना है. इसी के लिए चक्कर काट रहे हैं. ये सब ऐसे वक्त में है, जब लोगों के लिए सरकार ने महीनों तक राजस्व अभियान चलाया, जिसकी मॉनिटरिंग खुद प्रमुख सचिव तक करते रहे, फिर भी लाखों प्रकरण लंबित हैं.
प्रदेश में राजस्व प्रकरणों की स्थिति
नामांतरण
- पंजीकृत- 980704
- निराकृत- 768182
- लंबित- 212522
बंटवारा
- पंजीकृत- 128864
- निराकृत- 89469
- लंबित- 39395
सीमांकन
- पंजीकृत- 227053
- निराकृत- 183244
- लंबित- 43809
इन छोटे जिलों ने मारी बाजी
मंत्रियों ने काम को बताया अच्छा
इस मामले पर राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का कहना है कि सभी ने बेहतर काम किया है. तहसीलदार नायब तहसीलदार से लेकर सभी अधिकारियों ने अभियान को सफल बनाया है. वहीं, कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना का कहना है कि किसानों को दिवाली मनाना चाहिए और मुख्यमंत्री का स्वागत करना चाहिए. ऐतिहासिक काम के लिए बरसों से लंबित प्रकरण निपटाएं जा रहे हैं.
यह होता है नामांतरण
नामांतरण के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
सेल डीड, पंजीकृत विक्रय पत्र, पंजीकृत दान पत्र, पंजीकृत भूमि विनिमय पत्र, व्यवहार न्यायालय की डिक्री.
नामांतरण के लिए ज़रूरी शुल्क
नामांतरण में रेजिस्ट्रेशन चार्ज 5.5% और निगम सीमा शुल्क 1% होता है.
बंटवारा प्रकरण
- किसी जमीन को दो या ज़्यादा हिस्सों में बांटना या भाग करना.
- बंटवारे को विभाजन, तकसीम, या अलग-अलग होना भी कहा जाता है.
- बंटवारे के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि मौखिक बंटवारा, सहमति बंटवारा और विभाजन कार्रवाई.
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मौखिक बंटवारे को ऐसे कराए दर्ज
इसके लिए सबसे पहले किसी व्यक्ति की ज़मीन को सरकारी तौर पर चिह्नित किया जाता है. इसके बाद इस जमीन का सीमांकन कराने के लिए अपने स्थानीय नियामक या सीमांकन विभाग से संपर्क करना होता है. इसके बाद ज़मीन के सटीक स्थान को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ तैयार करना होता है. इनमें ज़मीन का पूरा विवरण, संपत्ति के दस्तावेज और नापीय सूचना शामिल है. इसके अलावा, सीमांकन की अनुस्मारक स्थापित करना होता है. इसके लिए विभागीय सहायता की जरूरत होती है. इसके बाद सीमांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक सीमांकन प्रमाणपत्र दिया जाता है, जो तहसील कार्यालय से मिलता है.
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