MP Election Results: ग्वालियर-चंबल में दोनों दलों के दिग्गजों को मिली हार, लहार और दतिया का दुर्ग ढहा

ग्वालियर-चंबल अंचल में इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं को हार मिली है. जहां एक ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ गोविंद सिंह चुनाव हार गए हैं, वहीं बीजेपी को नरोत्तम मिश्रा के रूप में बड़ा झटका लगा है.

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गोविंद सिंह ने लहार सीट से और नरोत्तम मिश्रा ने दतिया से चुनाव लड़ा था.

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 Results: मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal Region) की 34 में से 26 सीटें जीतकर पंद्रह साल बाद सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के कई दिग्गजों को हार मिली है, जिसके बाद ग्वालियर-चंबल अंचल का सियासी परिदृश्य बदल गया है. एक तरफ जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह (Dr Govind Singh) 33 साल बाद चुनाव हार गए, वहीं शिवराज सरकार के छह में से पांच मंत्री भी चुनाव हारे हैं. जिनमें गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Dr Narottam Mishra) भी शामिल हैं. सदैव सुर्खियों में रहने वाले नरोत्तम मिश्रा की हार बीजेपी के लिए इस क्षेत्र में बड़ी हार है. हालांकि, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने दिमनी से जीत दर्ज कर अपनी साख बरकरार रखी.

भिंड में दिग्गज नेताओं को मिली हार

2018 में कांग्रेस ने भिंड जिले में पांच में से छह सीट जीतीं थी. बीजेपी सिर्फ एक सीट अटेर जीत सकी थी. इकलौते बीजेपी विधायक अरविंद सिंह भदौरिया शिवराज मंत्रिमंडल में सहकारिता मंत्री हैं. उन्हें बीजेपी का संकटमोचक भी कहा जाता है, लेकिन इस बार वे अटेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के हेमंत कटारे से 24364 मतों के अंतर से हार गए. वहीं लहार विधानसभा क्षेत्र से 1990 से लगातार जीतने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा है. गोविंद सिंह को बीजेपी प्रत्याशी अम्बरीष शर्मा गुड्डू ने लगभग 12 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया है. वहीं बीजेपी के कद्दावर नेता और अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य भी पिछड़ते नजर आए और कांग्रेस प्रत्याशी केशव देसाई से हार गए.

1990 के बाद पहली बार हारे गोविंद सिंह

समाजवादी पृष्ठभूमि से कांग्रेस की सियासत में आए डॉ गोविंद सिंह को कांग्रेस का अपराजेय नेता माना जाता था. 1990 में पहला चुनाव जीतने के बाद उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा है. गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह की सरकार में गृह मंत्री और कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे हैं. गोविंद सिंह दो बार अम्बरीष शर्मा को चुनाव हरा चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें अम्बरीष शर्मा ने चुनाव हरा दिया. हालांकि, अम्बरीष शर्मा गुड्डू को टिकट दिए जाने पर बीजेपी में बगावत भी हुई. जिसके बाद बीजेपी के बड़े नेता रसाल सिंह बसपा से चुनाव लड़े, लेकिन गुड्डू ने 12 हजार 397 मतों से जीत हासिल कर गोविंद सिंह की अपराजेय सियासी यात्रा पर विराम लगा दिया.

दतिया में भाजपा का दुर्ग धराशायी

बीजेपी को सबसे बड़ा झटका दतिया में लगा है. बीजेपी के बड़े नेता और चर्चित गृहमत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री पद का भी दावेदार माना जाता था. वे लगातार पहले डबरा और फिर दतिया से चुनाव जीतते चले आ रहे थे. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें दतिया से प्रत्याशी बनाया, लेकिन कांग्रेस के राजेंद्र भारती से 7742 मतों के अंतर से चुनाव हार गए.

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रामनिवास रावत की हुई वापसी

कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहुत करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के बड़े नेता राम निवास रावत पांच साल बाद एक बार फिर विधानसभा भवन में दिखेंगे. 2018 के चुनाव में वे हार गए थे. इसके बाद जब सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस में बगावत हुई, लेकिन रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी. इस बार भी वे श्योपुर जिले की अपनी परंपरागत सीट विजयपुर से मैदान में उतरे और शानदार जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी बाबूलाल मेवरा को 18059 मतों के भारी अंतर से हराया.

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