Gwalior Rural सीट से कांग्रेस में बगावत; केदार कंसाना का इस्तीफा, किया चुनाव लड़ने का ऐलान

कांग्रेस ने ग्वालियर ग्रामीण सीट से केदार कंसाना का टिकट काटकर साहब सिंह गुर्जर को टिकट दिया है. साहब सिंह ने 2018 में कांग्रेस से बगावत कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

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ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र में केदार कंसाना की बगावत कांग्रेस को भारी पड़ सकती है.

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को प्रत्याशियों की पहली सूची (Congress Candidates First List) जारी की. टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस नेताओं के बगावती सुर सामने आ रहे हैं. ग्वालियर में भी टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस नेता केदार कंसाना (Kedar Kansana) ने पार्टी छोड़कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. यूथ कांग्रेस के पूर्व इलेक्ट्रोड प्रेसिडेंट युवा नेता केदार कंसाना ग्वालियर ग्रामीण सीट से टिकट के दावेदार माने जा रहे थे.

टिकट नहीं मिलने के बाद केदार कंसाना ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी और रविवार को घोषित किए गए कांग्रेस प्रत्याशी पर भी कई आरोप लगाए हैं. 

ग्वालियर ग्रामीण से थे दावेदार

यूथ कांग्रेस के नेता और ग्वालियर ग्रामीण से टिकट के दावेदार केदार कंसाना ने पहली सूची में अपना नाम नहीं होने पर इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्तीफा देने का ऐलान किया. इसके बाद उन्होंने अपने घर पर मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी पर कई आरोप भी लगाए.

चुनाव लड़ेंगे केदार कंसाना 

केदार कंसाना ने कहा कि मैंने पार्टी की सेवा की, लेकिन अब जब मेरा टिकट ही कट गया है तो इस पार्टी में मेरा भविष्य नहीं बचा है इसलिए मैंने इस्तीफा दिया है. उन्होंने कहा कि जो लोग मेरा सर्वे अच्छा बता रहे थे वही लोग कह रहे हैं कि सर्वे और लोकप्रियता के आधार पर टिकट बांटे गए हैं. जो सर्वे हुए थे वह किसने दबा दिए? मेरे साथ अभी भी 25000 लोग खड़े हैं. उन्होंने कहा कि मैंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया है लेकिन चुनाव जरूर लडूंगा.

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ग्वालियर ग्रामीण से कांग्रेस ने साहब सिंह को दिया टिकट

कांग्रेस द्वारा जारी की गई सूची में ग्वालियर ग्रामीण से साहब सिंह गुर्जर को टिकट दिया गया है. साहब सिंह ने 2018 में कांग्रेस से बगावत कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने भाजपा के भारत सिंह कुशवाह को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे. इसके बाद उनकी फिर से कांग्रेस में वापसी हुई और पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया.

बगावत से कांग्रेस को हो सकता है नुकसान 

ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र में केदार कंसाना की बगावत कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. केदार और साहब सिंह दोनों एक ही जाति के हैं. इस क्षेत्र में गुर्जरों की संख्या भी काफी है. केदार कंसाना के अन्य पार्टी से मैदान में उतरते पर गुर्जर मतों का विभाजन होगा और इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है. बीजेपी प्रत्याशी काछी समाज से आते हैं, जिनकी इस क्षेत्र में काफी अच्छी संख्या है. ग्वालियर ग्रामीण पिछड़ा बहुल सीट मानी जाती है.

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ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र में मैंने पार्टी की जड़ें जमाई : केदार

केदार कंसाना ने कहा कि मैं पिछले 22 साल से कांग्रेस पार्टी में हूं. पहले छात्र राजनीति में और फिर यूथ कांग्रेस का प्रेसिडेंट रहा. 10 साल से बिना पद के सेवा कर रहा हूं. मैंने 2018 में और उससे पहले भी टिकट मांगा था लेकिन मुझे सिर्फ आश्वासन दिया गया. कंसाना ने कहा कि ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है. यहां पोलिंग पर लड़ने के लिए मैंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इकट्ठा किया. जहां कोई भी कांग्रेस का झंडा उठाने वाला नहीं था, वहां हमने लोगों को विश्वास में लिया.

उन्होंने कहा कि मैंने टीम केदार के नाम से 25000 लोगों की एक टीम बनाई है जो लोगों के सुख-दुख में साथ हैं. इसके साथ ही 45000 से अधिक महिलाओं को नारी सम्मान योजना से जोड़ा और अभी रक्षाबंधन के बाद तकरीबन एक लाख बहनों से राखी भी पहनी और हर सुख दुख में लोगों के साथ रहा हूं. फिर भी मुझे टिकट नहीं दिया गया.

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