MP Election: विंध्य में कांग्रेस को बड़ा झटका, BJP में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पोते सिद्धार्थ तिवारी

सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे श्रीनिवास तिवारी के पोते हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि देश में जो विकास हुआ है उसके कारण बीजेपी में शामिल हुआ.

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सिद्धार्थ तिवारी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में बीजेपी में सामिल हुए.

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज नेता लगातार दल बदल रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची आने के बाद दल बदल की सियासत और भी तेज हो गई है. विंध्य में कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व सांसद और विधायक रहे सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी (Siddharth Tiwari) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है. बीजेपी में शामिल होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर विधानसभा सीट से दावेदारी ठोक सकते हैं.

विकास देखकर बीजेपी में शामिल हुआ: सिद्धार्थ

बीजेपी में शामिल होने के बाद सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि देश में जो विकास हुआ है उसके कारण बीजेपी में शामिल हुआ, आज पीएम मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि वे बीजेपी और पीएम मोदी की विचारधारा को अपनाते हुए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.

सिद्धार्थ को कांग्रेस ने उनके पिता के निधन के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में रीवा से प्रत्याशी बनाया था. (फोटो - फेसबुक/Siddharth Tiwari - Raj)

विरासत में मिली राजनीति

बता दें कि विंध्य की राजनीति में सिद्धार्थ तिवारी के पूरे खानदान का रुतबा रहा है. सिद्धार्थ तिवारी और उनके पिता दिवंगत सुंदरलाल तिवारी को राजनीति विरासत में मिली. सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे स्व. श्रीनिवास तिवारी के पोते हैं. उनके पिता सुंदरलाल तिवारी रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा सीट से वर्ष 2013  से 2018 तक विधायक रह चुके हैं. इसके पहले वह रीवा लोकसभा सीट से 1999 से वर्ष 2014 तक सांसद भी रह चुके हैं.

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अपने दादा की सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी

बताया जा रहा है कि पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी अपने दादा श्रीनिवास तिवारी की सीट त्योंथर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन हाल ही में सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस ने महामंत्री का पद दिया. जिससे ये कयास लगाए गए कि उन्हें विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की दौड़ से बाहर कर दिया गया है.

सिद्धार्थ तिवारी के पिता दिवंगत सुंदरलाल तिवारी और दादा दिवंगत श्रीनिवास तिवारी. (फोटो - फेसबुक/Siddharth Tiwari - Raj)

2019 में कांग्रेस ने दिया था टिकट

सिद्धार्थ को कांग्रेस ने उनके पिता के निधन के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में रीवा से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद से सिद्धार्थ तिवारी ने अपने दादा की पारंपरिक सीट रही त्योंथर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी.

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विंध्य में बीजेपी की स्थिति मजबूत

विंध्य में फिलहाल बीजेपी काफी मजबूती स्थिति में है. रीवा की 8 विधानसभाओं में से सभी सीटें बीजेपी के पास हैं. जिसके कारण कांग्रेस हर प्रत्याशी को घोषित करने में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. विंध्य की 30 सीटों में से 24 सीटों पर भाजपा का कब्जा है.

रीवा की राजनीति में ब्राह्मण प्रभावी

रीवा जिले में जातिगत राजनीति प्रभावी रही है. इस इलाके में ब्राह्मण, आदिवासियों का वर्चस्व है. वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री राजेंद्र शुक्ला भी रीवा से ही आते हैं. यहां ओबीसी वर्ग भी सियासत पलटने का माद्दा रखता है. हालांकि, इस बार भाजपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती है.

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