नक्सल मुक्त हुआ मध्यप्रदेश ! जहां थे हजारों नक्सली वहां अब सिर्फ 75 बचे, कैसे हासिल हुई ये सफलता?

मध्य प्रदेश नक्सल मुक्त राज्यों की सूची में शामिल हो गया है. प्रदेश के बालाघाट समेत आसपास के कई जिले दशकों तक लाल आतंक का केंद्र रहे हैं. पर अब वहां पर गोलियों की आवाज सुनाई देना लगभग खत्म हो गई है. इसकी वजह है पुलिस का और नक्सल ऑपरेशन में लगे होक फोर्स का ताबड़तोड़ एक्शन. जानिए कैसे हासिल हुई ये सफलता?

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Naxal-free Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश यानि देश का दिल अब लाल आतंक यानी नक्सलियों से मुक्त हो चुका है...ये ऐलान बीते दिनों खुद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने किया. शाह ने कहा था 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त होगा और मध्यप्रदेश तो इससे मुक्त हो भी चुका है.दरअसल राज्य में दशकों तक बालाघाट (Naxalites in Balaghat) और आसपास के दूसरे जिलों में नक्सली वारदातों की गूंज सुनाई देती थी लेकिन अब ये बिल्कुल खत्म हो चुकी है. एक वक्त था जब राज्य में हजारों नक्सली बेखौफ वारदातों को अंजाम दिया करते थे अब खुद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में केवल 75 नक्सली ही बचे हैं. इस बड़ी सफलता के पीछे वजह है पुलिस और होक फोर्स का ताबड़तोड़ एक्शन.

अब आप जब बालाघाट और उसके आसपास के इलाकों में घूमने जाएंगे तो ये इलाका आपका हरे-भरे पहाड़ों और खूबसूरत नजारों से स्वागत करेगा. ये पहले भी था लेकिन अब इसमें आपको शांति और सुकून भी मिलेगा. क्योंकि बुरी तरह नक्सल प्रभावित रहा ये इलाका अब नक्सल मुक्त हो चुका है. यहां नक्सलियों ने लंबे अरसे से किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दिया. यहां साल 2019 से 2024 के बीच बड़े पैमाने पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाए गए जिसका नतीजा अब साफ दिख रहा है.  

Advertisement

दरअसल हाल के वर्षों में मध्यप्रदेश में बहुत तेजी से नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 20 सालों में राज्य में जितने नक्सली मारे गए उनसे ज्यादा नक्सली बीते दो सालों में ही ढेर किए गए हैं. प्रदेश के  एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जयदीप प्रसाद के मुताबिक मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ यानी MMC जोन में फोर्स इसलिए नक्सलियों का काल बन पाई है क्योंकि उन्हें क्रॉस बॉर्डर फ्रीडम मिला हुआ है. इस दौरान हमारे जवानों ने कई बड़े नक्सलियों का सफाया किया है. इसकी वजह से प्रदेश सरकार ने कई जवानों को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन भी दिया है.  

Advertisement

बता दें कि राज्य के घनघोर जंगलों सालों तक हमारे जवानों के पास संसाधन नहीं थे. न ही उनके पास आधुनिक हथियार थे और न ही नेटवर्क..जिसकी वजह से लाल आतंक का परचम लहरा रहा था. प्रदेश के  बालाघाट, दक्षिणी बहैर, लांजी,मंडला, डिंडोरी और कान्हा नेशनल पार्क (Balaghat, South Bahar, Lanji, Mandla, Dindori and Kanha National Parks.) दशकों तक नक्सल वारदातों से गूंजते थे. एक वक्त था जब साल 1999 में दिग्विजय सरकार में मंत्री लिखिराम कांवरे को बालाघाट ज़िले में उनके ही घर के बाहर माओवादियों ने कुल्हाड़ी से काट दिया था. 
 जानकर मानते हैं कि स्ट्रांग पॉलिटिकल विल पावर और फोर्स कोऑर्डिनेशन के चलते प्रदेश नक्सल मुक्त हुआ है. रिटायर्ड स्पेशल डीजी शैलेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक उनके जमाने में जवानों के पास संसाधनों की तो कमी थी ही साथ ही साथ कोऑर्डिनेशन भी नहीं था.  हालांकि विपक्ष ने मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची से बाहर होने पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि अभी भी मध्य प्रदेश के कई इलाकों में नक्सली सक्रिय हैं. सरकार को अपनी पीठ तब थप थपाना चाहिए जब नक्सल प्रभावित इलाके में नक्सली जड़ से खत्म हो जाएंगे.  (तस्वीरें AI के सहयोग से)

Advertisement

ये भी पढ़ें: जबलपुर में पकड़े गए ठगी की सेंचुरी मारने वाले'हीरालाल-पन्नालाल', उनके तरीके जान आप भी हो जाएं सावधान