खुलेआम भ्रष्टाचार! परेशान उपसरपंच ने दिया इस्तीफा, बोले- अधूरे स्कूल, टूटी सड़कें बयां कर रहे हकीकत

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले से बड़ा खुलासा! Gram Panchayat Hatola में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल सामने आया. उपसरपंच Shantilal Nayak ने खुलासा कर इस्तीफा दे दिया. कागजों में बने स्कूल, पुलिया और टूटी सड़कें हकीकत बयां कर रहीं.

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Madhya Pradesh Corruption News: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां विकास के नाम पर सिर्फ कागजी काम हुआ है, जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आता. ग्राम हातोला में खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार से परेशान होकर उपसरपंच शांतिलाल नायक ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया. उनका कहना है कि गांव की टूटी सड़कें, अधूरे स्कूल और बंद पड़ी लाइटें ही असली सच्चाई बता रही हैं.

दरअसल, उपसरपंच का कहना है कि बड़वानी जिले के ठीकरी जनपद की ग्राम पंचायत हातोला में सरकारी योजनाओं के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. सरकारी खजाने से विकास कार्यों के लिए आई रकम का बड़ा हिस्सा कागज़ी कामों में ही गायब हो गया. कागज पर पुलिया, सड़कें और शौचालय बन गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

उपसरपंच ने किया खुलासा, दिया इस्तीफा

ग्राम पंचायत के उपसरपंच शांतिलाल नायक ने कहा कि मैंने जब इन गड़बड़ियों को उजागर करने की कोशिश की, तो किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. कई बार अधिकारियों को आवेदन दिया, जनसुनवाई में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आखिरकार थक-हारकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. शांतिलाल ने कहा कि उन्होंने आवाज़ उठाई तो उन्हें दबाने की कोशिश की गई.

कागजों में बनी पुलिया, स्कूल और शौचालय अधूरे

एनडीटीवी की टीम जब गांव पहुंची, तो शांतिलाल ने उन्हें भ्रष्टाचार की असली तस्वीर दिखाई. गांव में अधूरे पुल, अधूरे स्कूल भवन, अधूरे शौचालय और टूटी सड़कें दिखीं. उन्होंने बताया कि पुलिया निर्माण के लिए 4 लाख 40 हजार रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन पुलिया केवल कागजों पर बनी है.

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ग्रामीणों ने भी उठाई आवाज

गांव के लोगों ने भी पंचायत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल फर्जी बिल बनाकर सरकारी रकम निकाली जाती है. एक पुरानी बावड़ी की सफाई और जाली लगाने के नाम पर हर साल 50 हजार रुपये का बिल पास किया जाता है, जबकि वहां कोई काम नहीं होता.

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स्ट्रीट लाइट और सफाई व्यवस्था की पोल खुली

गांव में लगाई गई स्ट्रीट लाइटें मुश्किल से दो महीने चलीं, उसके बाद वे बंद हो गईं. सफाई व्यवस्था के नाम पर हर महीने फर्जी बिल बनाकर रकम निकाली जाती है. ग्रामीणों ने कहा कि जब कोई इन गलतियों पर सवाल उठाता है, तो उसे धमकाया जाता है या समाज में दबाव बनाया जाता है.

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जांच की मांग, प्रशासन से उम्मीदें

अब गांव के लोग और पूर्व उपसरपंच शांतिलाल नायक जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि ग्राम पंचायत हातोला में हुए सभी निर्माण कार्यों की तकनीकी और वित्तीय जांच कराई जाए. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक विकास केवल कागजों तक ही सीमित रहेगा.