मध्यप्रदेश : खराब सड़कों ने टेंशन बढ़ाई, चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने निविदा अवधि घटाई

सड़कों को तो विकास की धमनियां भी कहा जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश में इन दिनों सड़कें सरकार के लिए चुनाव में स्पीड ब्रेकर बन रही हैं. चुनाव महौल में सड़कों के कामकाज की स्पीड़ बढ़ाने के लिए अब सरकार ने निविदा की अवधि घटाने का फैसला कर लिया है.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins

सड़क, बिजली और पानी का मुद्दा चुनावी महौल में काफी सुनाई देता है. सड़कों को तो विकास की धमनियां भी कहा जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश में इन दिनों सड़कें सरकार के लिए चुनाव में स्पीड ब्रेकर बन रही हैं. चुनाव महौल में सड़कों के कामकाज की स्पीड़ बढ़ाने के लिए अब सरकार ने निविदा की अवधि घटाने का फैसला कर लिया है. खराब सड़कों की वजह से चुनाव में नुकसान की आशंका को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है. मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह द्वारा बताया गया है कि नगरीय निकायों की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत समय-सीमा में कराने के उद्देश्य से निविदा अवधि में कमी की गई है.

सड़कों को लेकर कांग्रेस पर हमेशा तंज मारती रही है बीजेपी

सड़क एक ऐसा अहम मुद्दा था, जिसके सहारे बीजेपी सरकार ने अपनी चुनावी नाव को पार लगाते हुए कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था. 20 साल बाद भी बीजेपी दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की सड़कों की जिक्र करती हुए नजर आती रहती है. खुद CM शिवराज सिंह चौहान आए दिन कह रहते हैं कि “18 साल पहले गड्ढों में सड़क थी या सड़क में गड्ढा, पता ही नहीं लगता था.”

Advertisement

कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जब मध्यप्रदेश के रिपोर्ट कार्ड (2003-2023) को जारी कर रहे थे तब उन्होंने कहा था कि “पहले म.प्र. में जो सड़क निर्मित हुई थी तो सड़क में गड्ढा था या गड्ढे में सड़क थी मालूम नहीं पड़ता था. मैं कई बार दाहोद के रास्ते से महाकाल के दर्शन करने आया था. गहरी नींद में दाहोद तक सोते थे जैसे ही एमपी शुरू होता था गाड़ी गड्ढे में गिरते ही नींद खुल जाती थी.”

Advertisement

अमेरिका से बेहतर सड़कों का था दावा, अब इन्हीं सड़कों ने बढ़ाई सरकार की टेंशन

मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जब अमेरिका दौरे पर गए थे, तब उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि उनके प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों से बेहतर हैं. सीएम शिवराज आए दिन प्रदेश में बेहतर और शानदार सड़क होने के दावे करते रहते हैं. लेकिन फिलहाल सरकार इन दिनों सड़कों की मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण को लेकर टेंशन में है.

Advertisement
चिंता इसलिए भी है क्योंकि ये चुनावी साल है और आचार संहिता लगने में कुछ दिन ही बचे हैं. सरकार को आशंका है कि अगर सड़कों का कायाकल्प सही समय पर नहीं किया गया तो जनता उन्हें सत्ता की पटरी से उतार सकती है. 

 अब तक किसी VIP या विशेष दौरे के लिए ही नियमों में दी जाती थी छूट

मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत समय-सीमा में कराने के लिए सरकार द्वारा निविदा अवधि में कमी करने का निर्णय लिया गया है. आचार संहिता से पहले इन क्षतिग्रस्त सड़कों का काम शुरू हो सके इसलिए निविदा अवधि घटा दी गई है. चुनाव से पहले नगरीय निकायों को विशेष फंड देकर सड़के बनवाई जा रही हैं. अब तक किसी वीआईपी या विशेष दौरे के लिए नियमों में शिथिलता दी जाती थी. 


पहले 30 और 15 दिन थी अवधि अब 10 और 7 दिन की गई

मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा अब मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजना, कायाकल्प योजना, विशेष निधि एवं अन्य राज्य प्रवर्तित योजनाओं में स्वीकृत सड़कों तथा अधोसंरचना विकास कार्यों में 10 लाख रूपये से अधिक मूल्य की निविदाओं के लिये प्रथम आमंत्रण में 10 दिन तथा द्वितीय आमंत्रण में 7 दिन की अवधि निर्धारित की गई है. पहले यह अवधि 30 और 15 दिन थी. सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह छूट 15 अक्टूबर 2023 तक आमंत्रित की गई निविदाओं पर प्रभावशील रहेगी. बता दें कि प्रदेश में कायाकल्प अभियान के पहले चरण में 750 करोड़ रुपये और दूसरे चरण में 800 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया है.