MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विधानसभा चुनाव के लिए अभी तक कुल चार लिस्ट जारी कर 136 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इन लिस्ट में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कई समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए हो, लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया समर्थक चार मंत्रियों और एक विधायक के टिकट अभी अटके हुए हैं. जिसके चलते सिंधिया समर्थकों में बेचैनी है. माना जा रहा है कि समर्थकों को टिकट दिलाने में सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
बीजेपी कोटे के तीनों मंत्रियों को मिले टिकट
मध्य प्रदेश में बीजेपी को टिकट बांटने में सबसे ज्यादा मंथन ग्वालियर-चंबल संभाग में ही करना पड़ रहा है. बीजेपी यहां अपने पुराने नेताओं के साथ-साथ सिंधिया समर्थक नेताओं को भी संतुष्ट करने में लगी है. बीजेपी ने अपनी चौथी सूची में पार्टी के तीनों मंत्रियों के टिकटों की घोषणा कर दी है. सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया को अटेर विधानसभा क्षेत्र से और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को फिर से दतिया से मैदान में उतारा गया है, जबकि ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के खास माने जाने वाले प्रदेश के उद्यानिकी मंत्री भरत सिंह कुशवाहा को लगातार तीसरी बार टिकट दिया गया है.
सिंधिया समर्थक मंत्रियों के टिकट अटके
कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने में सिंधिया की मदद करने वाले चार मंत्रियों के टिकट अभी तक अटके हुए हैं. बीजेपी की चार सूची जारी होने के बाद भी इन चारों मंत्रियों का नाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है. मेहगांव क्षेत्र से विधायक और शिवराज सरकार में राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया, शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक और राज्य मंत्री सुरेश धाकड़ रात खेड़ा, अशोकनगर जिले से विधायक और लोक निर्माण राज्य मंत्री बृजेंद्र यादव और कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम अभी तक लिस्ट में नहीं आने से समर्थकों में काफी बेचैनी देखने को मिल रही है.
सबसे चौंकाने वाला नाम महेंद्र सिंह सिसोदिया का
इन चारों मंत्रियों में सबसे चौंकाने वाला नाम महेंद्र सिंह सिसोदिया का है. सिसोदिया सिंधिया के काफी नजदीकी और दिग्विजय सिंह के मुखर विरोधी माने जाते हैं. उन्होंने भी सिंधिया के साथ बगावत कर भाजपा का हाथ थामा था और अभी वे शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. चार सूची जारी होने के बाद भी अभी तक उनका नाम गुना जिले की बमोरी सीट से घोषित नहीं हुआ है. अटकलें है कि उनका टिकट कट सकता है. इसके अलावा सिंधिया के साथ कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने वाली भांडेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्रीमती रक्षा सिरोनिया और अपनी विधायकी कुर्बान करने वाले मध्य प्रदेश बीज एवं फार्म विकास निगम के चेयरमैन मुन्नालाल गोयल के टिकट का ऐलान भी अभी तक नहीं हो सका है. इन सबसे सिंधिया समर्थकों में काफी बेचैनी नजर आ रही है.
सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर
टिकट वितरण को लेकर पार्टी में काफी जद्दोजहद चल रही है. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट की दरकार है, इसलिए वह बहुत सोच समझकर प्रत्याशियों का चयन कर रही है. वहीं सिंधिया के सामने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने की चुनौती है. अभी तक उनके कई समर्थकों के टिकट कट चुके हैं. मुरैना की दिमनी सीट से 2018 में कांग्रेस टिकट पर जीते गिर्राज दंडोतिया और शिवपुरी की करैरा से कांग्रेस से विधायक बने जसवंत जाटव ने भी सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ी थी.
विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर उप चुनाव लड़े लेकिन हार गए. अब सिंधिया उन्हें टिकट नहीं दिला सके हैं. यह दोनों सीटें सिंधिया से मूल भाजपा के खाते में चली गई हैं. अब अगर सिंधिया समर्थक चारों मंत्रियों के टिकट कट जाते हैं तो उनकी साख और भरोसा दोनों पर बट्टा लगेगा. कहा जा रहा है कि सबसे ज्यादा कश्मकश सिसोदिया की सीट पर है. बीजेपी उनका टिकट काटना चाहती है लेकिन सिंधिया इसके लिए कतई राजी नहीं हैं. सिंधिया उनका इस्तेमाल दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक मजबूत दुर्ग के रूप में करते रहे हैं. उनके टिकट कटने से यह दुर्ग ढह जाएगा.
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