Loksabha Election 2024: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच राजनीतिक शह मात का खेल चरम पर है. भाजपा जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को तोड़कर पार्टी को पंगु बनाने में जुटी है. वहीं, कांग्रेस पार्टी जातीय समीकरण के सहारे भाजपा को मात देने की तैयारी में जुटी हुई है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के खिलाफ गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र (Guna Shivpuri Parliamentry Seat) से राव यादवेंद्र सिंह को टिकट देकर बड़ी चाल चल दी है.
दरअसल, 2019 के चुनाव में बीजेपी ने एक रणनीति के तहत पिछड़े वोटों पर निशाना लगाते हुए गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ केपी यादव को मैदान में उतारा था. जिनके सामने सिंधिया के तिलिस्म का जादू नहीं चल पाया था. केपी यादव अशोकनगर जिले के रहने वाले हैं. खास बात यह थी कि वह कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया के बहुत नजदीकी नेताओं में शुमार किए जाते थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में शामिल होकर सिंधिया को एक लाख वोटों से चुनाव हराकर इतिहास रच डाला था.
भाजपा का दाव आजमा रही है कांग्रेस
ऐसे में अब भाजपा से निकालकर कांग्रेस में आए इस इलाके के जाने-माने नेता स्वर्गीय देशराज सिंह यादव के सुपुत्र राव यादवेंद्र सिंह यादव को कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार कर 2019 का बदला चुकता करने की दिशा में बढ़ती हुई नजर आ रही है. यही वजह है कि यह मुकाबला अब रोचक होने के आसार हैं.
यादव सम्मेलन से पहले कांग्रेस का बड़ा कदम
कांग्रेस ने ये चाल ऐसे वक्त में चली है, जब यादव वोटों को साधने के लिए खुद मुख्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में गुरुवार को अशोकनगर पहुंचकर यादव वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए यादव सम्मेलन का आयोजन करेंगे. इसमें न केवल भाजपा के बड़े नेता शामिल होंगे, बल्कि खुद केंद्रीय मंत्री और गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सिंधिया भी शिरकत करेंगे. लेकिन, सम्मेलन से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित होना और वह भी यादव समुदाय से एक विशेष महत्व रखता है. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने नाम की घोषणा अचानक की है, बल्कि ये पूर्व निर्धारित सोची-समझी रणनीति के तहत भाजपा के यादव सम्मेलन से पहले जानबूझकर राव यादवेंद्र सिंह यादव का नाम घोषित किया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा का यादव सम्मेलन अशोकनगर जिले में कितना कारगर साबित हो पता है, या फिर कांग्रेस के यादव प्रत्याशी के रूप में राव यादवेंद्र सिंह के सामने आने के बाद यादव वोटों का ध्रुवीकरण करने में कांग्रेस सफल हो पाती है.
सम्मेलन से पहले कांग्रेस ने उतारा प्रत्याशी
अशोकनगर जिले में भाजपा की ओर से यादवों का एक बड़ा सम्मेलन होना है. इस सम्मेलन में बीजेपी के बड़े नेता पहुंचेंगे. इन नेताओं के साथ मध्य प्रदेश के मुखिया मोहन यादव और गुना-शिवपुरी से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी शामिल रहेंगे. इस दौरान ये नेता यादव वोटों के ध्रुवीकरण के लिए यह सब अपनी-अपनी तरह से कोशिश करेंगे, लेकिन कांग्रेस ने एकाएक यादव समुदाय से अपने प्रत्याशी राव देशराज यादव के सुपुत्र राव यादवेंद्र सिंह का नाम घोषित कर फिलहाल यादव वोटों के ध्रुवीकरण का पूरा रास्ता रोक दिया है. यही वजह है कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी राव यादवेंद्र सिंह यादव की नाम की घोषणा इस सम्मेलन से एक दिन पहले की है.
भाजपा को यादव व आदिवासी वोटों से है बड़ी उम्मीद
इलाके में यादव और रघुवंशी वोटों को महत्व दिए जाने की परंपरा है. पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो रघुवंशी और यादव वोटों ने मिलकर इस लोकसभा क्षेत्र के लिए बड़ा काम किया, तो कहना गलत नहीं होगा. लिहाजा, भाजपा की इसी रणनीति के आसपास कांग्रेस ने भी सिंधिया के खिलाफ कुछ इसी तरह का ताना-बाना बुनने की कोशिश की है. अब देखना ये होगा कि यादव रघुवंशी और आदिवासी वोटों को साधने में जुटी भाजपा केंद्रीय मंत्री सिंधिया को इस चुनाव जिताने में सफल हो पाती है या नहीं?
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भाजपा के स्टार प्रचारक है सिंधिया
केंद्रीय मंत्री सिंधिया न केवल गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी है, बल्कि भाजपा ने उन्हें अन्य सीटों पर चुनाव प्रचार करने के लिए भी अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है. वहीं, कांग्रेस की रणनीति मजबूत दावेदारी पेश कर उन्हें उनके क्षेत्र में घेर कर रखने की ह. यही वजह है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति को जग जाहिर करते हुए राव यादवेंद्र सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया है. अब देखना यह है कि कांग्रेस की ये रणनीति चुनाव को किस हद तक रोचक मुकाबले में बदल पाती है.
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