चुनाव आयोग के अधिकारियों से लेकर नेता तक हैं परेशान! आखिर क्यों कम हो रहा मतदान? जानिए इसके मायने

Lok Sabha Elections 2024 Phase 2 Voting: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. हमारे यहां चुनाव को लोकतंत्र का पर्व और लोकतंत्र का त्योहार कहा जाता है. भारतीय संविधान में सभी वयस्कों को मताधिकार देने की बात कही गयी. हम सब का एक-एक वोट कीमती है. NDTV के साथ आइए संकल्प लीजिए कि आने वालों चरणों में हम खुद मतदान करेंगे और दूसरों को भी वोटिंग के लिए प्रेरित करेंगे.

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Lok Sabha Election 2024 Voting: शुक्रवार 26 अप्रैल को देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 लोकसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के दूसरे चरण के तहत मतदान हुए. वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो इस बार भी हाल पहले चरण की वोटिंग जैसे ही थे. पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 फीसदी वोट डाले गए थे. जबकि दूसरे चरण में महज 63.00 प्रतिशत मतदान देखने को मिला. कम होते इस वोटिंग प्रतिशत से इलेक्शन कमीशन के अधिकारी समेत नेता भी परेशान हैं. वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए उनके द्वारा तरह-तरह के उपाय भी किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश की बात करें तो दूसरे चरण में प्रदेश की 6 लोकसभा सीटों टीकमगढ़, सतना, रीवा, दमोह, खजुराहो, होशंगाबाद के मतदान केंद्रों में सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदान हुआ. MP में शाम 6 बजे तक कुल मतदान प्रतिशत 58.35 रहा. 2019 में इन सीटों पर 67 फीसदी मतदान हुआ था.

इस बार कैसी रही MP में वोटिंग?

मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने जानकारी देते हुए बताया कि कई मतदान केंद्रों पर अभी भी मतदाताओं की कतार लगी हुई है जिसका आंकड़ा देर तक आने की संभावना है. फाइनल आंकड़े में एक दो परसेंट की बढ़ोतरी हो सकती है. उन्होंने कहा कि टीकमगढ़ - 59.79 में दमोह में 56.18, खजुराहो में 56.44, सतना में 61.87, रीवा में 48.67 और होशंगाबाद में 67.16 फ़ीसदी मतदान हुआ है.

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अधिकारी और नेता ने किए ये प्रयास

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर मतदान केन्द्र स्तर तक व्यापक स्तर पर मतदाता जागरूकता गतिविधियाँ चलाने पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने विशेष जोर दिया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए “चलो बूथ की ओर” अभियान चलाएं. उन्होंने कहा कि सभी जिलों में ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ खासकर शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा आदर्श मतदान केन्द्र स्थापित किए जाएं. इन केन्द्रों की सुविधाएँ ऐसी हों, जिससे अधिक से अधिक मतदाता वोट डालने के लिये प्रेरित हों. मतदाताओं का स्वागत वैलकम ड्रिंक्स से करें. जहाँ कतार लगती हो, वहां पर छाया की उत्तम व्यवस्था की जाए. प्रत्येक मतदान केन्द्र पर गर्मी के मौसम को ध्यान में रखकर पेयजल के अतिरिक्त इंतजाम भी किए जाएं.

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चुनाव आयोग के अलावा नेता भी वोटिंग बढ़ाने के लिए ईनाम देने की बात कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के एक बड़े नेता ने 100 प्रतिशत वोटिंग कराने वाले पोलिंग एजेंट को साइकल गिफ्ट करने की बात कही है. वहीं कुछ दुकानदारों ने डिस्काउंट कूपन और फ्री में नास्ता देने की बात की है.

तमाम उपायों के बावजूद कम क्यों हो रही वोटिंग?

क्या वोटर हो रहे हैं नीरस?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश के वोटर खासकर हिंदी भाषी राज्यों में मतदाता वोटिंग को लेकर नीरस हो गए हैं. पिछले दो लोकसभा चुनाव यानी 2014 और 2019 में वोटर्स में अच्छा-खासा उत्साह देखने को मिला था लेकिन अबकी बार वो जज्बा दिख नहीं रहा है.

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क्या गर्मी ने दिया पहरा?

दूसरे चरण की वोटिंग से पहले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुरुवार को आगामी 5 दिनों के दौरान पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार (Bihar) , तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश (UP) के कुछ हिस्सों में लू की चेतावनी जारी की थी. मध्य प्रदेश में भी गर्मी का सितम देखने को मिल रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि वोटर्स पर गर्मी का पहरा भी है.

मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल व ओड़ीशा के लिए रेड अलर्ट और बिहार व कर्नाटक के कुछ हिस्सों के लिए आरेंज अलर्ट जारी किया है.

सोशल मीडिया में चुस्त, वोटिंग में सुस्त

इस बार के चुनाव को लेकर विज्ञापन एजेंसी डेंटसू क्रियेटिव (Dentsu Creative) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमित वाधवा ने कहा इस साल डिजिटल प्रचार (Digital Promotion) बहुत ज्यादा हो रहा है. उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल पार्टियां कॉर्पोरेट ब्रांड की तरह काम कर रही हैं और प्राेफेशनल एजेंसियों की सेवाएं ले रही हैं. हम सभी अपने चारों तरफ देख रहे हैं कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर तो वोटिंग को लेकर खूब बातें हो रही हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर चुनाव आयोग और प्रशासन के प्रसायों के बावजूद वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बजाय घट रहा है. ऐसे में हमें वर्चुअल दुनिया से निकलकर रियल समस्या का समाधान खोजना चाहिए.

लोकतंत्र की ताकत को पहचानिए, आने वाले चरणों में मतदान बढ़ाइए...

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. हमारे यहां चुनाव को लोकतंत्र का पर्व और लोकतंत्र का त्योहार कहा जाता है. भारतीय संविधान में सभी वयस्कों को मताधिकार देने की बात कही गयी. हम सब का एक-एक वोट कीमती है.

NDTV के साथ आइए संकल्प लीजिए कि आने वालों चरणों में हम खुद मतदान करेंगे और दूसरों को भी वोटिंग के लिए प्रेरित करेंगे.

कम वोटिंग के क्या मायने रहे हैं?

अगर हम रिकॉर्ड देखें तो पिछले 12 में से 5 लोकसभा चुनावों में वोटिंग प्रतिशत कम हुए हैं और इनमें से चार बार केंद्र सरकार बदली है. 1980 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब मतदान प्रतिशत कम हुआ तो जनता पार्टी को हटाकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई. वहीं 1989 में वोटिंग प्रतिशत गिरा तो कांग्रेस सरकार की विदाई हो गई थी. तब केंद्र में  बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी थी. वहीं 1991 में मतदान में गिरावट के बाद केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस की वापसी हुई. 1999 का चुनाव अपवाद था क्योंकि इस चुनाव में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट होने के बावजूद भी सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ था. जबकि 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा प्रमुख विपक्षी पार्टी को मिला था.

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