1.5 लाख महिलाओं को मिला रोजगार का मौका ! महाकुंभ लेकर आया बड़ी सौगात 

Maha Kumbh 2025 Date & Location : माना जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ भक्त आएंगे. इसके लिए जिला और मेला प्रशासन पूरी तैयारी में जुटे हैं.

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इस महाकुंभ क्या होगा खास ? 40 करोड़ भक्तों के लिए की गई ये तैयारियां

Maha Kumbh 2025 : अMaha Kumbh 2025 : अपार आस्था का संगम महाकुंभ का हिंदू धर्म से खास महत्त्व है. 12 सालों में एक बार महाकुंभ का मेला लगता है. साल 2025 में महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से होगी. अब की बार महाकुंभ का मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगेगा. आस्था के महापर्व को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से पुख्ता तैयारियां की जा रही है. साथ ही इस बार का महाकुंभ पर्यावरण के अनुकूल और प्लास्टिक मुक्त होगा. उत्तर प्रदेश सरकार की पहल से महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इसके तहत प्लास्टिक, फोम की प्लेट और गिलास का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. विकल्प के तौर पर पत्तों की प्लेट और कुल्हड़ (मिट्टी के प्याले) रखे जाएंगे. पत्तों की प्लेट, कुल्हड़, जूट के थैले, कपड़े के थैले बनाने की जिम्मेदारी बिहार, MP, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश के 28 जिलों की महिलाओं को दी गई है. ये उत्पाद सभी राज्यों के 86 जिलों के समूहों की तरफ तैयार किए जा रहे हैं. इन राज्यों के 14 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों की करीब 1.25 लाख महिलाओं को तैयारियों में लगाया गया है.

Maha Kumbh 2025 : 40 करोड़ भक्तों के आने का अनुमान

माना जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ भक्त आएंगे. इतने लोगों के लिए 60 करोड़ से ज्यादा प्लेट और कटोरों की जरूरत होगी. इसके लिए जिला और मेला प्रशासन पूरी तैयारी में जुटे हैं. इस काम में दो IAS और छह PCS अफसर भी लगाए गए हैं. महाकुंभ के विशेष अधिकारी आकांक्षा राणा और CDO गौरव कुमार को इसका जिम्मा दिया गया है. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि यह सामान महाकुंभ में उपलब्ध रहे और सही तरीके से बिके.

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Maha Kumbh 2025 : प्लास्टिक का इस्तेमाल रहेगा बंद

इस बार अखाड़ों, भंडारों और भोजन के स्थानों पर प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बंद रहेगा. इन जगहों पर पत्तल और कुल्हड़ सस्ते दामों में मिलेंगे. इसके लिए हर सेक्टर में 10 दुकानें खोली जाएंगी. कुल मिलाकर 25 सेक्टरों में 250 दुकानें और शहर में 50 विशेष दुकानें होंगी. मेला प्रशासन अपने वाहनों के माध्यम से अखाड़ों और भंडारों तक थालियां भेजने की व्यवस्था भी करेगा.

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