Madhya Pradesh News: छतरपुर जिले के जुझार नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले कृष्ण कुमार द्विवेदी को पता नहीं था कि भारत से अमेरिका जाना तो हो जाएगा, लेकिन लौटना कितना मुश्किल होगा. यह उन्होंने बीते 14 सालों में महसूस किया. वीजा की समय अवधि खत्म होने के कारण वह वह शिकांगो में ही फंसकर रह गए थे. जहां से वह 14 साल बाद अपने स्वदेश आ सके हैं. अपने गांव पहुंचकर उन्होंने राहत की सांस ली.
अलग होकर शिकागो सिटी घूमने चले गए
शिकागो में संस्था के नियम अनुसार जिस वैदिक पंडित का आचरण अच्छा हुआ, तो उसे 2 वर्ष की जगह 3 वर्ष वैदिक महर्षि आश्रम शिकागो में रहने को मिल जाता था. लेकिन कृष्ण कुमार द्विवेदी उन 50 वैदिक पंडितों में से कुछ वैदिक पंडितों के साथ अलग होकर शिकागो सिटी घूमने चले गए. जहां वो उस संस्था से 6 दिन बाहर रहे.
वहीं, वह अपने लिए नौकरी की तलाश करने लगे, जबकि उन्हें यह मालूम नहीं था कि शिकागो में रुकने के लिए एक समय सीमा निर्धारित होती है. लवकुश नगर जिले के जुझारनगर थानाक्षेत्र में रहने वाले कृष्ण कुमार द्विवेदी को नहीं पता था कि भारत से अमेरिका जाना तो हो जाएगा, लेकिन लौटना कितना मुश्किल होगा. यह उन्होंने बीते 13 सालों में महसूस किया.
ये भी पढ़ें- MP हाईकोर्ट ने आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दर्ज FIR निरस्त करने से किया इंकार, कहा- 'गंभीरता से हो जांच'
13 साल सात माह तक किया इंतजार
वीजा की समय अवधि खत्म होने के कारण वह वह शिकागो में ही फंसकर रह गए थे, जहां से वह 13 साल सात माह की लंबी अवधि के बाद शनिवार को गांव लौट सके. दरअसल कृष्ण कुमार द्विवेदी पुत्र बाबूराम द्विवेदी 2008 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट नैनी इलाहाबाद गए थे.
ये भी पढ़ें- भोपाल से 1800 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद, NCB और ATS गुजरात की संयुक्त टीम ने मारा छापा, 2 गिरफ्तार