भटक गया 'राम वन गमन पथ'... 16 साल से फाइलों में दबी योजना, चुनाव आते ही याद आ जाते हैं राम !

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2007 में भगवान राम के मध्य प्रदेश से गुजरने वाले रास्ते को तय करने के लिए राम वन गमन पथ बनाने का ऐलान किया था. 16 साल से यह योजना फाइलों में अटकी है और जिंदा भी है.

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16 साल से फाइलों में अटकी है राम वन गमन पथ योजना

Ram Van Gaman Path Yojna : राम वन गमन पथ के विकास का ऐलान मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने लगभग 16 साल पहले किया था. घोषणा के बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के तमाम स्थलों को जोड़ने के लिए प्रारूप और न्यास बनाए गए लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं हो पाया. मंगलवार को पहली बार प्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Mohan Yadav) के नेतृत्व में राम वन गमन पथ के विकास को लेकर बैठक कर रही है लेकिन बीते 16 साल में राम वन गमन पथ के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई. 

16 साल से फाइलों में अटकी है योजना

यह बात और है कि सिद्धा पहाड़ में खनन लीज स्वीकृत होने के बाद जब विरोध शुरू हुआ तो स्थानीय प्रशासन ने भगवान राम की मूर्ति पहाड़ पर लगवा दी. जब-जब चुनाव का मौका आया है राम वन गमन पथ फाइलों से बाहर निकल आता है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2007 में भगवान राम के मध्य प्रदेश से गुजरने वाले रास्ते को तय करने के लिए राम वन गमन पथ बनाने का ऐलान किया था. 16 साल से यह योजना फाइलों में अटकी है और जिंदा भी है.

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सीतामढ़ी (शहडोल)

2018 में बीजेपी ने चुनाव से पहले इसे लेकर इतनी गंभीरता दिखाई कि बजट में 1000 रुपए की भारी भरकम राशि का जिक्र और आवंटन कर दिया. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की थी और 56 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई थी लेकिन आज जमीन हालात कुछ और हैं.

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सतना

कहीं भी कुछ काम नहीं हुआ

सतना जिले में कामदगिरी पर्वत, कामतानाथ मंदिर, मंदाकिनी नदी, स्फटिक शिला, अनुसूया आश्रम, गुप्त गोदावरी, टिकरिया अमरावती आश्रम, मारकंडे आश्रम, सरभंगमुनि आश्रम, सुतीक्षण आश्रम और​ सिद्धा पहाड़ राम वन गमन पथ का हिस्सा हैं लेकिन कहीं कुछ भी नहीं बना है. सलेहा मंदिर पन्ना में राम वन गमन पथ के तहत जीर्णोद्धार होना था लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि सब कुछ जस का तस है. यही हाल कटनी का भी है. बड़वारा में भरभरा आश्रम में भी काम होना था लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. शहडोल में सीतामढ़ी की तस्वीर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां क्या काम हुआ है.

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सतना

बजट में योजना को दिए गए 1000 रुपए

साल 2018-19 के लिए पेश किए गए बजट में मांग संख्या 26 के तहत कला एवं संस्कृति संवर्द्धन के तहत जिन कामों का जिक्र किया गया उनमें रामपथ विकास भी शामिल था. इस शीर्ष में मद संख्या- 5494- रामपथ विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में एक हजार रुपए का बजट आवंटन किया गया. योजना फाइलों से निकलती भी नहीं, तभी कांग्रेस ने इस रास्ते पर निकलने का प्लान बना लिया. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कामतानाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की.

सतना

राम वन गमन पथ को बजट का इंतजार

सरकार बदली, कमलनाथ गए और कमल खिला. एक बार फिर कमल ही खिला है लेकिन अभी भी बजट का सिर्फ आश्वासन है. संस्कृति-धार्मिक न्यास मंत्री धर्मेन्द्र लोधी का कहना है कि अब 6 तारीख से बजट सत्र है. बजट दिया जाएगा. काम शुरू होगा. प्रयास अच्छे रहेंगे. संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से अच्छे से अच्छा बजट लाने की कोशिश करेंगे. वनवास के दौरान राम ने सबसे ज्यादा दिन चित्रकूट में बिताए लेकिन 16 साल में काम के नाम पर सिर्फ सर्वे हुआ है.

सतना

चुनाव आया तो याद आया राम वन गमन पथ

विधानसभा चुनाव बीता है और लोकसभा चुनाव दहलीज पर खड़ा है इसलिए एक बार फिर राम वन गमन पथ याद आ रहा है. सतयुग में वनवास खत्म कर चुके राम को कलयुग में वनवास खत्म होने का इंतजार है. वैसे लोकसभा में राज्यवर्धन राठौर के सवाल के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया था कि राम वन गमन पथ की उसकी कोई योजना नहीं है. छत्तीसगढ़ में भूपेश की योजना का उन्होंने जिक्र किया था लेकिन मध्य प्रदेश की नहीं... हे राम !