MP News: मां बनी मिसाल, जवान बेटे की मौत के बाद जिगर के टुकड़े के इन सात अंगों का किया दान

Madhya Pradesh News: कोमा में जा चुके बेटे की लगातार तबीयत बिगड़ने और इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं होने पर मां सुशीला मोयदे ने बेटे के मन की बात पति अम्बाराम को बताई. इसके बाद मन पर काबू कर डॉक्टरों की सलाह से बेटे विशाल के अंग दान करने का निर्णय लिया.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

Khargone News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के निमाड़ (Nimad) से एक बहुत ही भावुक और इंसानियत को जिंदा करने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, यहां एक माता-पिता ने अपने जवान बेटे की मौत के बाद उसके सात अंगों को दान (Organ Donation) कर दिया है. यानी इस माता-पिता ने अलग-अलग अंगों के खराब होने से जिंदगी और मौत से जूझ रहे लोगों को नई जिंदगी दे दी है.

दरअसल, निमाड़ के कसरावद तहसील के छोटे से गांव सांगवी (खामखेड़ा) निवासी अम्बाराम मोयदे का परिवार रहता है. अम्बाराम पेशे से शिक्षक हैं. वह जुलवानिया जिला बड़वानी के शासकीय शाला में सेवाएं दे रहे हैं. अम्बाराम मोयदे बच्चों की पढ़ाई के लिए फिलहाल खरगोन में निवास करते हैं. परिवार में पत्नी सुशीला बाई मोयदे के अलावा दो बेटे थे. इनमें से बड़ा बेटा विशाल पढ़ाई में अच्छा था, जिसने बैचलर करने के बाद डीएड को पढ़ाई पूरी की. इसके बाद डीएड की परीक्षा देते समय परीक्षा हाल में सिर में दर्द होने लगा, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन और परिवारजनों ने मिलकर पास के ही शासकीय जिला चिकित्सालय खरगोन में भर्ती करा दिया. जहां उनका इलाज किया गया.

पिता ने की बेटे को बचाने की पूरी कोशिश

बेटे की खराब तबीयत की जानकारी  शिक्षक अम्बाराम को जैसे ही मिली, तो वह विशाल के पास पहुंच गए. फिर उसे सरकारी अस्पताल से निकाल कर शहर के निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया. निजी हॉस्पिटल में लाने के बाद भी जब स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो विशाल को इंदौर के निजी हॉस्पिटल ले जाया गया.यहां भी तीन दिन भर्ती रखने के बाद जब विशाल की सेहत में सुधार नहीं हुआ तो उसे बड़ोदरा के  हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां पर पूर्व से ही विशाल के ब्रेन का इलाज भगवतीला के पास चल रहा था.

Advertisement

बेटे ने जताई थी अंगदान की इच्छा

विशाल को ब्रेन में समस्या की जानकारी 2018 मिल गई थी.विशाल के शिक्षित होने की वजह से उसे शायद पता लग गई होगी कि मेरा जीवन चक्र सिमित समय का हो सकता है. इस लिए विशाल ने मन की बात अपनी माता सुशीला मोयदे को बता दी थी कि अगर कभी इस परेशानी से मेरा जीवन अंतिम मुकाम तक पहुंच जाए और भगवान रूपी डॉक्टरों की दवा भी काम न आए, तो मेरे शरीर के अंगों को किसी जरूरतमंद गरीबी को दान करवा देना.

Advertisement

नहीं सुधर रही थी तबीयत

कोमा में जा चुके बेटे की लगातार तबीयत बिगड़ने और इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं होने पर मां सुशीला मोयदे ने बेटे के मन की बात पति अम्बाराम को बताई. इसके बाद मन पर काबू कर डॉक्टरों की सलाह से बेटे विशाल के अंग दान करने का निर्णय लिया. अंग दान के लिए डॉक्टरों ने विशाल के पिता अम्बाराम को बताया कि यदि आपके परिवार या मिलने-जुलने वालों में से कोई ऐसा सदस्य हो, जिसे विशाल के अंग की जरूरत हो तो बताएं. इस पर अम्बाराम ने बताया कि मेरे संपर्क में ऐसा कोई नहीं है आपको जिस जरूरतमंद को अंग देना है, उसे दे सकते हो.

Advertisement

माता-पिता ने अंगों की पूजा कर किया विदा

माता-पिता की इच्छा के बाद डॉक्टरों की टीम ने ऑनलाइन वेटिंग लिस्ट के आधार पर अंग दान करने की कार्यवाही शुरू की. इसके बाद विशाल के शरीर के सात अंग दान किए गए. दान किए गए अंगों में लिवर, हार्ट, आंत, दोनों फेफड़े और दोनों किडनी शामिल है. किडनी Jydus हॉस्पिटल अहमदाबाद, Lung D हॉस्पिटल अहमदाबाद, Heart Reliance हॉस्पिटल मुंबई, Small intestine MGM हॉस्पिटल चेलाई, Liver Kiran हॉस्पिटल सूरत भेजी गई. इसके लिए बड़ोदरा में सुपर कॉरिडोर बना कर समय सीमा के भीतर डॉक्टरों की टीम ने सातों अंगों को रवाना किया.जैसे ही विशाल के अंगों को ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकाला गया, तो विशाल की मां सुशीला मोयदे, पिता अम्बाराम और उपस्थित परिवार ने विशाल के अंगों के पाव की पूजा करके अंतिम विदाई दी.

ये भी पढ़ें- Shivpuri Rocks: शिवपुरी ने रचा इतिहास, जन मन आवास योजना के तहत कॉलोनी बनाने वाला बना पहला जिला

इसके बाद विशाल के पार्थिव शरीर को निजी निवास सांगवी ले जाया गया. जहां परिवार, समाज जनों और गांव वालों के साथ ही क्षेत्र के जिन लोगों को भी विशाल के अंग दान की सूचना मिली, वह सभी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए.मां नर्मदा संगम मुक्तिधाम शांति नगर माकड़खेड़ा पर अंत्येष्टि दी गई. इस मौके पर विशाल के पिता अम्बाराम ने बताया कि मानव जगत की ये संदेश देना चाहता हूं कि हर मानव को ऐसे नेक काम करना चाहिए, क्योंकि हमारी आत्मा तो शरीर छोड़कर चली जाती है. यदि हमारे मानव अंग किसी जरूरतमंद के काम आ सके और उसको एक नया जीवन मिल सके व उसके परिवार में खुशियां आ सके, ये हमारे लिए सौभाग्य की बात होनी चाहिए.इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा करने से हमारा बेटा अब भी जीवित है.

ये भी पढ़ें- सीएम मोहन आज लाडली बहनों को देंगे रक्षाबंधन का तोहफा, सिंगल क्लिक पर ट्रांसफर करेंगे योजना की 15वीं किश्त

Topics mentioned in this article