Khandwa Gang Rape Case: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुए गैंगरेप मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मानवता को शर्मसार कर देने वाला यह मामला अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाना है. आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो गई है. अब प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने की बात भी कर रहे हैं. लेकिन अब जो जानकारी सामने निकल कर आ रही है वह और भी हैरान और परेशान कर देने वाली है.
जानकारी के मुताबिक, पीड़ित महिला की जब मौत हुई तो उसके बाद उसे घर से अस्पताल लाने तक के लिए उन्हें दूसरों से मदद लेनी पड़ी. ना तो उसे सरकारी एम्बुलेंस मिली और ना ही पुलिस ने उनके लिए किसी वाहन की व्यवस्था की. वहीं पीड़िता के बेटे का आरोप है कि मां के पास रखे पैसे भी वहशी दरिंदों ने छीन लिए थे. यानी दरिंदगी के बाद भी पीड़िता और उसके परिवार को आर्थिक मजबूरियों का दंश झेलना पड़ा. भले ही अब उन्हें आर्थिक सहायता मिल रही हो लेकिन जब उन्हें सच में पैसे और मदद की जरूरत थी तब कोई आगे नहीं आए. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि हमारी सवेंदनाए कितनी शून्य हो गई है.
पैसे छीने, शराब पिलाई...
खंडवा गैंग रेप मामले में पीड़ित परिवार का दर्द भी अब सामने आया है. गैंगरेप पीड़िता के पुत्र ने आरोप लगाया कि दोनों ही आरोपियों ने उसकी मां के साथ बर्बरता करने से पहले उसके पास रखे पैसे छीन लिए थे. उसके बाद उन्होंने पीड़िता को शराब पिलाई और घिनौना काम किया. जिससे शरीर के अंग भी बाहर आ गए थे.
इस बात का पता उन्हें तब चला जब वह अपनी मां को घायल अवस्था में उठाकर लाए थे. तब पीड़िता ने अपने बेटे को दोनों आरोपियों के नाम और करतूत बताया था कि उसके पास रखे पैसे भी आरोपियों ने छीन लिए हैं. पीड़िता की बहू ने जब पीड़िता के शरीर से खून निकलता देखा तब उसने कपड़े को खोलकर जांच की तब पता चला कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा है और शरीर का कोई अंग बाहर है. यह पूरी दास्तान पीड़िता के बेटे ने मीडिया के सामने सुनाई है.
एंबुलेंस भी नसीब नहीं...
गैंगरेप से पीड़ित महिला की मौत के बाद जब परिजन उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे. तब उन्हें ना तो एंबुलेंस मिली ना पुलिस का कोई वाहन मिल पाया जिससे वह पीड़िता के शव को अस्पताल तक ले जाते. न तो उनके पास इतने पैसे थे कि वह किसी निजी वाहन से उसे लेकर अस्पताल जाते. ऐसे में गांव के ही एक शख्स ने उनकी मदद. उस शख्स से चार हजार रुपये लेकर उन्होंने निजी वाहन किराए पर लिया और पीड़िता के शव को अस्पताल तक लाया. इसके बाद पोस्टमार्टम के बाद शव को अस्पताल से फिर वापस घर तक लाया गया.
उठे कई सवाल...
ऐसे अब सवाल उठता है कि पुलिस या प्रशासन या जनप्रतिनिधियों का इस तरह का रवैया कितना ठीक है कि, जब पीड़ित महिला और उसके परिवार को मदद की जरूरत थी तब उसे ना तो एंबुलेंस के लिए मदद करवा पाए, ना ही उसे पुलिस की ओर से पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल तक लाने में मदद की गई. लेकिन अब प्रशासन और जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवार की पूरी तरह मदद करने का ऐलान कर रहे हैं. अगर यह मदद पहले मिलती तो शायद परिवार का दर्द कुछ कम हो जाता.
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