MP News in Hindi: लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने और नई सरकार के गठन के बाद से भाजपा में तमाम तरह की अटकलें और चर्चाएं थी कि भाजपा में अनेक नेता अब एकजुट होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को अंचल में प्रशासनिक मुख्य धारा से अलग-थलग करने में लगे हुए गए हैं. वहीं चर्चाएं ये भी थी कि स्पीकर नरेंद्र तोमर की गुट ग्वालियर में इसकी अगुवाई कर रहा है. इस दौरान कई घटनाएं भी सामने आए, जिससे जाहिर हुआ कि चर्चाओं में सच्चाई है, लेकिन आखिरकार सिंधिया ने एक बार फिर पतखनी दे दी. तमाम अटकलों और नामों को उस समय तगड़ा झटका लग गया, जब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने मंत्रियों को जिले का प्रभार सौंपने की सूची देर रात जारी की.
तुलसी राम सिलावट को बनाया गया ग्वालियर का प्रभारी मंत्री
ग्वालियर का प्रभारी मंत्री कौन होगा? पिछली सरकार के गठन के बाद इंदौर के रहने वाले सिंधिया समर्थक तुलसी राम सिलावट ग्वालियर के प्रभारी थे. यह बात भाजपा नेताओं को हजम नहीं होती थी. हालांकि वो सामजस्य बिठाने का प्रयास करते रहते थे, लेकिन इस पर सबकी खास निगाहें थी, क्योंकि पूरी बीजेपी आश्वस्त थी कि इस बार ग्वालियर जिले का प्रभारी मंत्री संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई समर्थक नहीं बनेगा. भाजपा नेताओं के बीच तो तीन दिन से प्रभारी मंत्री का नाम भी चर्चा में था. अभी बड़े नेता दावा कर रहे थे कि इंदर सिंह परमार को ग्वालियर का प्रभार मिलेगा. बस इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है. इसी तरह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये रामनिवास रावत को भिंड का प्रभारी मंत्री बनाने की चर्चा थी.
गोविंद, प्रधुम्न सिंह तोमर और राकेश शुक्ला को भी सौंपा गया प्रभार
देर रात आई सूची में सिंधिया का दबदवा साफ नजर आ रहा है. उन्होंने भाजपा में चल रही सभी अटकलों को धूल धूसरित करते हुए एक बार फिर से अपने समर्थक तुलसी राम सिलावट को ग्वालियर का प्रभारी मंत्री बनवा दिया. इसके अलावा सिंधिया के अपने संसदीय क्षेत्र गुना के तीनों जिलों में भी उनके ही समर्थको को प्रभारी मंत्री बनाया गया. गुना में गोविंद राजपूत, शिवपुरी में प्रधुम्न सिंह तोमर और अशोकनगर में राकेश शुक्ला को प्रभार सौंपा गया है. शुक्ला वैसे तो भाजपा के है, लेकिन सिंधिया से भी उनके रिश्ते ठीक हैं.
सीएम के ग्वालियर दौरे के दौरान मंच पर नजर नहीं आये थे सिंधिया
ग्वालियर में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा सांसद भारत सिंह के क्रियाकलापों से लग रहा था कि पार्टी में सिंधिया के खिलाफ भाजपा नेता गोलबन्दी कर रहे हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री के ग्वालियर और अंचल के दो दौरे हुए, लेकिन उनमें सिंधिया मंच पर नजर नहीं आये. इसके अलावा विकास कार्यों के अवलोकन हो, अधिकारियों की बैठक या योजनाओं को लाने के लिए श्रेय की बात. सांसद और सिंधिया में होड़ नजर आई, जिसके चलते माना जा रहा था कि पार्टी सिंधिया को अंचल की जगह सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र तक सीमित करने के मूड में हैं.
ग्वालियर की सियासत में अपने समर्थक सांसद भारत सिंह कुशवाह के जरिये सत्ता के सूत्र अपने हाथ मे रखेंगे, लेकिन यह अटकल गलत साबित हुई. सिलावट के फिर से ग्वालियर के प्रभारी मंत्री बनाकर सिंधिया ने साफ कर दिया कि ग्वालियर की सियासी चाबी तो उनके पास ही रहने वाली है. अब प्रभारी मंत्री के सहारे ब्यूरोक्रेसी की कमान सिंधिया ही संभालेंगे.
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