MP के इस जिले में नौकरी के लिए लगती है बोली; ड्राइवर से सुपरवाइजर तक सबके दाम फिक्स, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

Singrauli Job Scam: कंपनी गेट के बाहर कुछ बेरोजगार युवा खड़े थे, इस इंतजार में की कंपनी के अधिकारी आएंगे तो हम यह बात करेंगे कि हमारी नौकरी का क्या हुआ? पैसे देने के बाद हमें नौकरी कब मिलेगी? इसी सवालों के जवाब जानने के लिए बेरोजगार युवा कंपनी का चक्कर लगा रहें है. NDTV से बेरोजगार युवाओं ने अपनी दर्द बयां करते हुए बताया कि यहाँ नौकरी पैसों से खरीदी जाती है.

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Singrauli Job Scam: यहां नौकरी के लिए लगती है बोली

NDTV Ground Report Singrauli Coal India Job Scam: मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक निजी कंपनी में हेल्पर, ड्राइवर, सुपरवाइजर की नौकरी खरीदने के लिए ग्राहकों की लाइन लगी हुई है. यहां योग्यता, कौशल, शिक्षा के आधार पर नौकरी नहीं मिलती है बल्कि नौकरी के लिए पहले पैसे की बोली लगती है, इसके बाद नौकरी मिलती है. मामला तब सामने आया जब यहाँ के सैकङो बेरोजगार युवा ठगी की शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे. जानिए NDTV ग्राउंड रिपोर्ट में क्या कुछ सामने आया?

Singrauli Job Scam: ग्राउंड जीरो पर एनडीटीवी

NCL में जॉब के लिए लगती है बोली

सिंगरौली जिले में स्थित भारत सरकार की मिनी रत्न कोल इंडिया की कंपनी NCL में आउटसोर्सिंग में OB हटाने का कार्य कर रही कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KCCL) में हेल्पर ड्राइवर और सुपरवाइजर की नौकरी के लिए रिश्वत की डील की गई, यह डील कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रशांत श्रीवास्तव के द्वारा बिचौलिए के माध्यम से किया गया, आरोप है कि प्रशांत श्रीवास्तव ने कंपनी में हेल्पर, ड्राइवर और सुपरवाइजर की नौकरी देने के लिए बेरोजगार युवाओं से बिचौलिए के माध्यम से खाते और कैश लिए, सैंकड़ो बेरोजगार युवाओं ने जॉब पाने की उम्मीद से पैसे दे दिए, लेकिन उसके बाद उन्हें जॉब नहीं मिली, तो वे थक हारकर डीएम से लेकर संभाग के उच्च अधिकारियों तक मामले की शिकायत की, लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

Singrauli Job Scam: पीड़ितों का दर्द

पीड़ितों की कहानी

निगाही के निवासी स्याम राज सिंह अपने बेरोजगार बच्चों की जॉब के लिए बीते दो साल से परेशान है, दो साल पहले यानी 2023 में उन्होंने कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अपने दोनों बच्चों की नौकरी के लिए गए थे, जहाँ उनकी मुलाकात कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रशांत श्रीवास्तव से हुई, प्रशांत श्रीवास्तव ने उनसे नौकरी के बदले रिश्वत की मांग की. 2 लाख 90 हजार में डील तय हुई. रिश्वत का यह पैसा बिचौलिए के माध्यम से फोन पे और कैश में लिया गया. पैसा देने के बाद जब उनके बच्चों को नौकरी नहीं मिली तो वह खुद को ठगी का शिकार समझने लगा, जिसके बाद स्याम राज सिंह ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से लेकर डीएम तक कर चुके हैं, लेकिन मामले में कोई एक्शन देखने को नहीं मिला है.

अजित सिंह कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद भी बेरोजगार हैं. उन्हें पता चला कि कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में भर्ती हो रही है, जिसके बाद उन्होंने जाकर कंपनी के प्रमुख अधिकारी प्रशांत श्रीवास्तव से मुलाकात की, उन्होंने कंपनी के एक अन्य कर्मचारी का नाम बताया और कहा कि उनसे मिल लेना. अजित उस व्यक्ति से मिला जो रिश्वत के पैसे को खाते और कैश में लिया, लेकिन अजित को जॉब नहीं मिली. अब शिकायत लेकर कलेक्टर से लेकर एसपी तक गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि साहब पैसा दिलवा दो या फिर जॉब.

अजित, स्यामराज की तरह ही मोहम्मद साहिन भी हैं. जो मोरवा में एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान में रिपेरिंग का काम करते हैं. आर्थिक तंगी से परेशान होकर नौकरी करने की चाह में कलिंगा कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में गये. जहाँ उनकी मुलाकात कंपनी के सीनियर अधिकारी प्रशांत श्रीवास्तव से हुई. प्रशांत श्रीवास्तव ने नौकरी के बदले रिश्वत की मांग की. 4 लाख 50 हजार में डील हुई. यह पैसा प्रशांत ने एक अन्य कर्मचारी के खाते और कैश के जरिये लिया, साल भर का समय बीत गया लेकिन नौकरी नहीं मिली, जिसके बाद साहिन ने एसपी कार्यालय में मामले की शिकायत की.

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Singrauli Job Scam: कंपनी में नो एंट्री

कंपनी में No एंट्री; कॉल का रिप्लाई नहीं

इन आरोपों की सच्चाई को जानने के लिए NDTV की टीम कंपनी के कैम्प कार्यालय में गई, जहाँ कंपनी में अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली. कंपनी के परियोजना प्रमुख प्रशांत श्रीवास्तव को NDTV की टीम ने कई बार कॉल किया लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.

विस्थापितों की आवाज उठाने वालों ने क्या कहा?

कोल इंडिया की NCL कंपनी के आउटसोर्सिंग कंपनी में नौकरी कैसे मिलती है? इस बारे में यहाँ के विस्थापित नेता अरविंद दुबे ने बताया कि यहां की आउटसोर्सिंग कंपनी में नौकरी के लिए या तो पैसा हो या फिर किसी अधिकारी, नेता की लिखी हुई चिट्टी चाहिए. बिना इसके इन कंपनियों में नौकरी नहीं मिलती है. नौकरी पाने के लिए यहां के विस्थापित बेरोजगार युवा पैसों से नौकरी खरीदते हैं. नौकरी लगवाने के लिए पैसा या तो किसी नेता, अधिकारी, पुलिस को देते हैं या फिर कंपनी के अधिकारी कर्मचारी को.

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