Jaivik Kheti: 2 दिनों तक नेचुरल फॉर्मिंग पर चर्चा, जैविक खेती वर्कशाॅप में CM मोहन ने कहा- केमिकल से बचें

Organic Farming Workshop in Bhopal: जैविक खेती पर हो रही वर्कशॉप में सीएम मोहन ने कहा कि मध्यप्रदेश में दूध उत्पादन की क्षमता 9% से बढ़ाकर 20% तक ले जाएंगे. स्व-सहायता समूह के माध्यम से गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है.

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Organic Farming Workshop: सीएम मोहन ने जैविक खेती पर क्या कहा?

Organic Farming Workshop in Bhopal: वर्तमान खेती में रासायनिक उर्वरकों, खरपतवार नाशकों एवं कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग के कारण भूमि एवं वातावरण में हानिकारक तत्वों की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, जिसके कारण पर्यावरण, मृदा उर्वरता तथा मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. पर्यावरण और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये कृषि में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को हतोत्साहित करने के लिये जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है. इस उद्देश्य से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में जैविक खेती (Organic Farming) की कार्यशाला (Workshop) का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 21 फरवरी को सुबह राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केन्द्र बरखेड़ी कलां, भोपाल में जैविक खेती पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया इसमें प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना भी मौजूद रहें.

CM मोहन ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में 11.48 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है. हमें खेती के क्षेत्र में केमिकल के उपयोग से बचना है. किसानों को हम सोलर पंप भी देंगे, ताकि वे बिजली के बिल से मुक्ति पाएं. अन्य उद्योगों के साथ हमें कृषि आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा देना है. हम प्रदेश में दूध उत्पादन की क्षमता 9% से बढ़ाकर 20% तक ले जाएंगे. 

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CM ने कहा कि हमारा प्रदेश कॉटन के उत्पादन में अग्रणी राज्यों में शामिल है, साथ ही मध्यप्रदेश में 11.48 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है. हमें पर्यावरण को बचाने के लिए जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करना होगा.

मध्यप्रदेश सरकार इस साल को उद्योग वर्ष के रूप में मना रही है, कृषि प्रधान इस प्रदेश में खेती को भी उद्योग की तरह विकसित किया जाना चाहिए. तेजी से बढ़ रहे जैविक खेती को प्रोत्साहन देने में सरकार पूरी तरह मदद कर रही है. भविष्य में इस क्षेत्र को वन मेला, कार्तिक मेला, व्यापार मेला की तर्ज पर जैविक उत्पाद मेला का आयोजन भी किया जाना चाहिए. मेलों में लोगों की आवाजाही से जैविक खेती और उत्पाद के लिए जागृति लाना आसान होगा.

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वर्कशॉप में किस पर होगी चर्चा?

कार्यशाला में जैविक कपास, फल एवं सब्जियां एवं अन्य फसलों के लिए जैविक खेती पद्धति एवं उत्पादों की मूल्य श्रृंखला विकसित करने पर विस्तृत चर्चा की जायेगी. साथ ही प्रदेश के विकास के लिए रणनीति तैयार की जायेगी. कार्यशाला में केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक, संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एफ.पी.ओ. एवं जैविक खेती के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग लेंगे.

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मध्यप्रदेश में जैविक खेती

MP में 11 एग्रो क्लाईमेटिक जोन

प्रदेश में 11 एग्रो क्लाईमेटिक जोन में विभिन्न फसलों की व्यापक क्षेत्र में खेती की जा रही है. पर्यावरण संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य, स्वस्थ खाद्य उत्पाद एवं बाजार मांग के दृष्टिकोण से व्यापक क्षेत्र में प्राकृतिक एवं जैविक खेती की संभावनाएं हैं. प्राकृतिक एवं जैविक खेती के विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर व्यवहारिक कार्ययोजना, नीति तैयार करने, कॉमन संस्थात्मक प्लेटफार्म विकसित करने और प्रदेश में प्राकृतिक एवं जैविक परिदृश्य के विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिये उपयोगी होगी.

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